उत्तराखंड के 22750 हेक्टेयर क्षेत्र में संगध पौधे लहलहाएंगी

01 Nov 2025 12:29:49



नई दिल्ली।उत्तराखंड में कृषि के सम्मुख खड़ी चुनौतियों से पार पाने के लिए सगंध पादपों की खेती एक बड़े विकल्प के रूप में उभरी है। इस कड़ी में अब महक क्रांति नीति के माध्यम से किसानों के जीवन में खुशहाली लाने की तैयारी है।इसके तहत राज्य में 22750 हेक्टेयर क्षेत्र में संगध फसलें लहलहाएंगी, जिससे 91 हजार किसान जुड़ेंगे। सरकार का लक्ष्य राज्य में सगंध खेती का सालाना टर्नओवर 1000 करोड़ तक ले जाने का लक्ष्य है। वर्तमान में यह टर्न ओवर 100 करोड़ रुपये सालाना है।

आर्थिकी व पारिथितिकी के मध्य समन्वय

राज्य में आर्थिकी व पारिस्थितिकी के मध्य बेहतर समन्वय पर सरकार जोर दे रही है। खेती के दृष्टिकोण से सगंध फसलें इस कसौटी पर एकदम खरी उतरती हैं। असल में खेती के सम्मुख चुनौतियों की भरमार है। पलायन के कारण खाली होते गांव, वन्यजीवों से फसल क्षति, मौसम की बेरुखी जैसे कारणों से खेती का रकबा घट रहा है। ऐसे में सगंध फसलों की ओर ध्यान गया। यह ऐसी फसलें हैं, जो स्वयं को मौसम के अनुरूप ढाल लेती हैं और वन्यजीव भी इसे क्षति नहीं पहुंचाते। साथ ही आय भी बेहतर होती है।

अब महक क्रांति नीति से गढ़ेंगे प्रतिमान

सगंध फसलों में किसानों की रुचि को देखते हुए सरकार महक क्रांति नीति लेकर आई है। इसके तहत पिथौरागढ़, चंपावत, अल्मोड़ा, चमोली, पौड़ी, हरिद्वार व ऊधम सिंह नगर जिलों में सात अरोमा वैली विकसित की जाएंगी। सगंध पौधा केंद्र के निदेशक डा नृपेंद्र चौहान के अनुसार इन जिलों में लैमनग्रास, मिंट, डेमस्क रोज, टिमरू, तेजपात जैसी सगंध फसलों को बढ़ावा दिया जाएगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 


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