
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले के अधिकांश किसान परंपरागत खेती पर निर्भर है। जिले के कृषि विज्ञान केंद्र मोहनपुरा के उद्यानिकी विषय वस्तु विशेषज्ञ डॉ. अंकित सिंह भदौरिया ने कहा कि इस समय स्ट्रीबेरी के फसल लगाने का सही समय है। सामान्य खेती से अलग स्ट्रॉबेरी की खेती से किसानों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त हो सकते हैं।
स्ट्रॉबेरी की खेती की दी जाएगी जानकारी
स्ट्रॉबेरी एक पौष्टिक और उच्च मूल्य वाली फसल है। इसके फल विटामिन सी, एंटी-ऑक्सीडेंट्स एवं खनिजों से भरपूर होते हैं। फसल को पूरी तरह लाल रंग आने पर तोड़ा जाता है। औसतन प्रति हेक्टेयर 15 से 25 टन उत्पादन आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। जनपद के किसान किसी भी सहायता अथवा अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र मोहनपुरा में किसी भी कार्य दिवस में संपर्क कर सकते हैं।
स्ट्रॉबेरी की खेती में कितना खाद डाले
स्ट्रॉबेरी की रोपाई मध्य अक्तूबर से नवंबर तक की जाती है। जनपद की जलवायु के अनुसार यह रोपाई का उपयुक्त समय है। जैविक खाद में गोबर की 20 से 25 टन खाद प्रति हेक्टेयर या फिर 80 से 100 किग्रा नाइट्रोजन, 60 किग्रा फास्फोरस और 60 से 80 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर खेत के लिए पर्याप्त है।
खेत में पानी न लगने दे
स्ट्रॉबेरी की फसल में फल बनने की स्थिति में नियमित सिंचाई की जरूरत होती है। जल एवं पोषक तत्वों की बचत होने के कारण ड्रिप इरिगेशन सबसे कारगर विधि है। इस बात का विशेष ध्यान रहे कि खेत में जलभराव नहीं हो पाए।