रामपुर का यह किसान पपीते की बागवानी से कमाता है बेहतर मुनाफा

13 Nov 2025 15:06:09


नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के रामपुर के किसान अब पारंपरिक खेती को छोड़कर फल-फूल और औषधीय पौधों की बागवानी करने लगे है। जिससे बागवानों को बेहतर दाम मिल रहा है। इससे किसानों को कम मेहनत में भी ज्यादा मुनाफा बढ़ेगी। विशेषज्ञों की माने तो बागवानी करने से मिट्टी की उर्वरता शक्ति बढ़ रही है। पर्यावरण को भी लाभ होता है और पोषण की दृष्टि से यह अधिक उपयोगी साबित हो रही है। वहीं दूसरी तरफ सरकार भी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहन और आर्थिक सहायता प्रदान कर रही है। जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिल रही है। रामपुर के रहने वाले किसान ज्ञान सिंह पिछले दस सालों से खेती कर रहे हैं और इस बार उन्होंने देसी पपीते की खेती से शानदार सफलता हासिल की है। अक्टूबर 2024 में उन्होंने करीब 3 एकड़ जमीन पर देसी किस्म का पपीता लगाया था। यह पपीता जल्दी नहीं पकता और कच्चे रूप में सब्जी के तौर पर बेचा जाता है। जून 2025 से उन्होंने इसकी तुड़ाई शुरू की थी और नवंबर तक हर 20 से 22 दिन में लगातार फसल निकालते रहे।

1 बार में निकलता है 200 क्विंटल फल

ज्ञान सिंह के अनुसार यह देसी किस्म बेहद लाभदायक है, क्योंकि इसकी पैदावार अच्छी और लागत कम होती है। एक बार की तुड़ाई में लगभग 200 क्विंटल पपीता निकल जाता है।  जिसे वे सीधे दिल्ली की आजादपुर मंडी भेजते हैं, जहां कच्चे पपीते की खूब मांग रहती है। उनके अनुसार, इस फसल की देखभाल भी आसान है। बस समय-समय पर पानी और खाद की जरूरत होती है।

उम्मीद से बेहतर पैदावार

फसल से उन्हे उम्मीद से बेहतर पैदावार हुई, हालांकि मंडी में फिलहाल इसका भाव 6 से 7 रुपये प्रति किलो मिल रहा है। पिछले साल जब कीमत 30 से 35 रुपये किलो थी, तब उन्होंने करीब 10 लाख रुपये का मुनाफा कमाया था। ज्ञान सिंह का कहना है कि देसी पपीता हमेशा बाजार में मांग वाला उत्पाद रहता है, क्योंकि यह पकने वाला फल नहीं बल्कि कच्चे रूप में सब्जियों में इस्तेमाल होता है।

 

 

 

 


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