देशी नहीं, विदेशी फलों की बागवानी कर रहा ये किसान, कम समय में शानदार मुनाफा

17 Nov 2025 11:34:26


नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में अब किसान परंपरागत खेती छोड़कर नई तकनीकी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि नई तकनीकी खेती कम समय और कम लागत में अधिक मुनाफा देती है। किसान अब सीमित समय और संसाधन में अधिक लाभ पाने के लिए विदेशी फलों और तकनीकी बागवानी की ओर रुझान दिखा रहे हैं।

विदेशी फलों की कर रहे बागवानी

शहजादपुर गांव के रहने वाले किसान कृष्ण देव त्रिपाठी पुस्तैनी खेती किसानी में शामिल थे। परंपरागत फसल से पर्याप्त मुनाफा न मिलने के कारण उन्होंने नई सोच अपनाई और देशी फलों की बागवानी छोड़कर केसर प्रजाति के विदेशी आम की बागवानी शुरू की। इस बार उन्होंने तीन बीघे जमीन में लगभग 900 केसर आम के पेड़ लगाए हैं। उनका मानना है कि विदेशी फलों की बागवानी से कम समय में अधिक मुनाफा मिलता है और यह किसानों के लिए फायदे का सौदा बन जाता है।

मार्केट में मिलता है बेहतर दाम

केसर आम का पौधा लगभग पांच वर्ष में पूरी तरह विकसित हो जाता है और फल देना शुरू कर देता है। एक पौधे से लगभग 20-25 किलो फल प्राप्त होता है, जिसे बाजार में 150-200 रुपये प्रति किलो के भाव से बेचा जाता है। इससे किसान को अच्छा खासा लाभ होता है। कृष्ण देव त्रिपाठी ने बताया कि केसर प्रजाति के पौधे महाराष्ट्र से लाकर अपने खेतों में लगाए गए एक पौधे की लागत लगभग 150 रुपये है। पौधा दूसरे साल से फल देना शुरू कर देता है।

 








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