पर्यावरण संरक्षक पद्मश्री सालूमरदा थिमक्का का निधन, बेंगलुरु में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया अंतिम संस्कार

17 Nov 2025 12:48:52




नई दिल्ली। पद्मश्री से सम्मानित पर्यावरण कार्यकर्ता सालूमरदा थिमक्का का शुक्रवार को एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। परिजनों के अनुसार 114 वर्षीय थिमक्का लंबे समय से अस्वस्थ थीं और इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती थीं, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। 30 जून 1911 को जन्मी थिमक्का को बेंगलुरु दक्षिण जिले के रामनगर में हुलिकल और कुदुर के बीच लगभग 4.5 किलोमीटर क्षेत्र में 385 बरगद के पेड़ लगाए जाने के लिए सालूमरदायानी वृक्ष माता की उपाधि मिली थी।

2019 में मिला पद्मश्री का पुरस्कार

थिमक्का ने बिना औपचारिक शिक्षा प्राप्त किए अपने वृक्षारोपण के मिशन की शुरुआत की। निःसंतान होने के कारण जीवन में आए खालीपन को भरने के लिए वे पौधों की देखभाल अपने बच्चों की तरह करती थीं। उनके पर्यावरण संरक्षण के इस समर्पित कार्य को कई सम्मान मिले। उन्हें 2010 में, हम्पी विश्वविद्यालय का नादोजा पुरस्कार, 2019 में पद्मश्री, 1995 में राष्ट्रीय नागरिक पुरस्कार और 1997 में इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कारसहित कुल 12 पुरस्कार प्राप्त हुए।

इंडियन नर्सरी मैन एसोसिएसन ने जताया शोक

सालूमरदा थिमक्का के निधन पर इंडियन नर्सरी मैन एसोसिएसन ने शोक व्यक्त किया है। इंडियन नर्सरी मैन एसोसिएशन के अध्यक्ष वाई सिंह ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि थिमक्का ने अपने जीवनकाल में हजारों पेड़ लगाए और उन्होंने अपना अधिकांश समय और ऊर्जा पर्यावरण संरक्षण को समर्पित कर दी। वाई सिंह ने आगे कहा कि,भले ही थिमक्का अब इस दुनिया में नहीं रहीं, लेकिन प्रकृति के प्रति उनका प्रेम और योगदान हमेशा याद किया जाएगा।

सीएम ने जताया शोक

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने थिमक्का के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए घोषणा की कि उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शोक संदेश में कहा, "सालूमरदा थिमक्का के निधन की खबर सुनकर मुझे गहरा दुख हुआ। थिमक्का ने हजारों पेड़ लगाए और उन्हें अपने बच्चों की तरह पाला। उन्होंने अपना अधिकांश जीवन पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया।

 

 


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