
नई दिल्ली।पटना राज्य में अभी पौधों की नर्सरी को लेकर कोई नीति नहीं है। इसका प्रारूप राज्य में तैयार किया जा रहा है। कृषि विभाग के अनुसार, सभी सरकारी व निजी नर्सरियों का अनिवार्य पंजीकरण कराना होगा। इसके लिए लाइसेंस भी लेना होगा। पंजीकरण और लाइसेंस की वैधता पांच साल तक रहेगी। गुणवत्ता मानकों का निर्धारण किया जायेगा। टैगिंग और लेबलिंग के साथ नर्सरियों का निरीक्षण किया जायेगा। मान्यता प्राप्त संस्थानों की ओर से पौधे के नमूनों का परीक्षण किया जायेगा. नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना व लाइसेंस रद्द होगा नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना और लाइसेंस रद्द किये जायेंगे। किसानों को गुणवत्तापूर्ण पौधा सामग्री उपलब्ध करायी जायेगी।बागवानी क्षेत्र में उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के लक्ष्य के साथ इसे क्रियान्वित किया जायेगा। नर्सरियों के पंजीकरण, लाइसेंसिंग, गुणवत्ता नियंत्रण और एकरूपता स्थापित की जायेगी। इस दौरान गुणवत्तापूर्ण नर्सरी क्षेत्र का विकास भी किया जायेगा। मातृ वृक्ष की शुद्ध नस्ल का रखा जायेगा ख्याल मातृ वृक्षों की आनुवांशिक शुद्धता व पौधों की सामग्री की ट्रेसेबिलिटी सुनिश्चित की जायेगी। इसके जिस पेड़ से बीज लिया जायेगा, उसकी नस्ल साफ होनी चाहिए और उसमें किसी तरह की मिलावट या कमजोर गुण नहीं होनी चाहिए।
नर्सरी से होती है पौधा संरंक्षण
नर्सरी पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि यह पौधे उगाकर और वितरित करके प्रदूषण को कम करती है, वायु को शुद्ध करती है, और वन्यजीवों को आवास प्रदान करती है। यह लोगों, विशेषकर बच्चों को प्रकृति से जोड़ने, पौधों के महत्व को समझने और पर्यावरण की देखभाल करने के लिए शिक्षित करने का एक मंच भी है। नर्सरी पौधों की विविधता भी बनाए रखती है, जिससे प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है।