कश्मीर की मशहूर केसर पर मौसम की मार, फूल खिले मगर उत्पादन घटा

21 Nov 2025 10:15:58


नई दिल्ली। कश्मीर की वादियों में जब नवंबर आता है, तो ठंडी हवा के साथ केसर की मीठी खुशबू भी पूरे माहौल में घुल जाती है। पंपोर के खेतों में फैले बैंगनी फूल देखने वाले का दिल मोह लेते हैं। लेकिन इस खूबसूरत नजारे के पीछे इस बार किसानों की गहरी चिंता छिपी है। फूल खिले हैं, पर फसल पहले जैसी नहीं. खेती से जुड़े हजारों परिवारों की उम्मीदें इस बार अधूरी सी रह गई हैं।

फूल दिखे, पैदावार घटी

एक रिपोर्ट के अनुसार, लालेथपोरा गांव के किसान अली मोहम्मद रेशी हर सुबह अपने खेत में पहुंचते हैं और बेहद नाजुक केसर के फूलों को धीरे-धीरे तोड़ते हैं। इन छोटे-से फूलों में छिपा लाल रंग का रेशा ही केसर कहलाता है। लेकिन इस बार टोकरी आधी ही भर पाती है। रेशी दुख भरे लहजे में कहते हैं इस बार फसल सिर्फ 25 फीसदी ही हुई है। पिछले साल भी हालत बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन अब तो उससे भी कम मिल रहा है।

मौसम बना सबसे बड़ा कारण

केसर की खेती पूरी तरह मौसम पर निर्भर करती है, खासकर सर्दियों की नमी पर, लेकिन पिछले दो-तीन सालों से कश्मीर में बर्फबारी बहुत कम हुई है। नतीजा यह हुआ कि केसर के कॉर्म जड़ें ठीक से बढ़ ही नहीं पाए। हेक्टेयर खेतों में यही हाल देखने को मिला है।

कश्मीर का केसर

कश्मीर का केसर सिर्फ मसाला नहीं, बल्कि कश्मीरियों की विरासत है। दुनिया भर में इसकी खुशबू और गुणवत्ता की चर्चा होती है। पर लगातार कम होती पैदावार अब इस विरासत को कमजोर कर रही है। अगर सिंचाई, मौसम प्रबंधन, जमीन संरक्षण और खेती की नई तकनीकों पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले वर्षों में केसर उत्पादन और भी नीचे जा सकता है।

 

 

 

 

 

 

 


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