केला किसानों के लिए मुसीबत बनी पोटैशियम की कमी, जाने कृषि वैज्ञानिक के सलाह

22 Nov 2025 09:52:58


नई दिल्ली। केला की खेती करने वाले किसान फसल में पोटैशियम की कमी की वजह से फसल खराब होने की मुसीबत झेल रहे हैं। इसकी वजह से केला के पौधों की ग्रोथ रुक रही है और उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होने का खतरा बढ़ गया है। केला की खेती आमतौर पर जून-जुलाई में की जाती है, लेकिन नवंबर में भी कुछ हिस्सों में केला की फसल लगाई जाती है। ऐसे इलाकों के किसानों को पौटैशियम की पूर्ति के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह जारी की है।

बागवानों को भारी नुकसान

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय बिहार के कृषि वैज्ञानिकों ने केला की खेती करने वाले किसानों को पैटैशियम की कमी से होने से फसल खराब होने की चेतावनी दी है। कृषि सलाह में कहा गया है कि पोटैशियम की कमी केले की उपज को काफी बुरी तरह से प्रभावित करती है। इसकी कमी से केले की उपज काफी घट जाती है जिससे किसानों को बड़े स्तर पर नुकसान होता है।

केला फसल में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश कितना डालें

बिहार समेत अन्य हिस्सों के केला उत्पादक किसान केले के बागों का वैज्ञानिक तकनीक से प्रबंधन कर पोटेशियम की कमी को दूर करते हुए केले से उच्च स्तरीय उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। कहा गया है कि केले की सफल खेती में पोटाश एक बहुत ही महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। केला की सफल खेती के लिए किसान केले के प्रत्येक पौधे में 300 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम फास्फोरस और 300 ग्राम पोटाश प्रति पौधा की दर से जरूर डालें।

 

 

 

 


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