जितना पुराना सेब का पेड़ उतनी ही बढ़ रही उत्पादन लागत, मुनाफा भी कम

24 Nov 2025 14:35:07


नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में सेब का पेड़ जितना पुराना होता जाता है, उतनी ही उत्पादन लागत बढ़ रही है और बागवानों का मुनाफा भी कम हो रहा है। 22 साल से अधिक उम्र के सेब के पेड़ों में बागवानों के उर्वरकों, दवाओं, श्रम आदि से जुड़े खर्च में बढ़ोतरी हो रही है। सेब के परंपरागत पेड़ों पर किए इस अध्ययन में यह खुलासा डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के डॉ. चंद्रेश गुलेरिया, कृषि महाविद्यालय एमपीयूएटी उदयपुर के डॉ. आशीष कुमार, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत काम कर रहे एनडीआरआई करनाल के कृषि अर्थशास्त्र विभाग की डॉ. मोनिका शर्मा और अन्य विशेषज्ञों ने किया है।

पुराने पेड़ से ज्यादा उत्पादन

विशेषज्ञों के अनुसार जहां सेब के प्रति सौ पौधों और पेड़ों की शुरुआती लागत 37,405.13 रुपये थी, वहीं यह 22 वर्ष से अधिक आयु के पेड़ों में बढ़कर 89,452.83 हो गई। 17-22 वर्ष आयु वर्ग के पेड़ों ने सबसे अधिक उत्पादकता मिली, इसमें प्रति सौ पेड़ों से 82.78 क्विंटल उपज प्राप्त हुई। इस आयु वर्ग में प्रति सौ पौधों पर 5,99,391.55 का उच्चतम सकल लाभ भी दर्ज किया गया। इस सकल लाभ ने सेब की खेती की आर्थिक क्षमता को दिखाया। इस अध्ययन के लिए शिमला के तीन ब्लॉकों जुब्बल-कोटखाई, रोहडू और नारकंडा को रैंडम तरीके से चुना गया।

110.20 मिलियन मीट्रिक टन फलों का उत्पादन

हिमाचल प्रदेश में 110.20 मिलियन मीट्रिक टन फलों का जबरदस्त उत्पादन रिकॉर्ड किया। सेब मुख्य रूप से जम्मू और कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड समेत पूर्वोत्तर में उगाया जाता है। हिमाचल में देश का 26 प्रतिशत सेब उत्पादन होता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


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