केले की खेती बना देगी लखपति, सही तकनीक का करें इस्तेमाल

25 Nov 2025 12:29:46


नई दिल्ली। देश में किसान अब बागवानी फसलों की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। केला ऐसी ही एक फसल है, जिसकी खेती सही तरीके से की जाए तो किसानों के लिए सोने की खान बन सकती है। उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में केले की बड़े पैमाने पर खेती होती है। खेती विशेषज्ञों के अनुसार अगर रोपाई से लेकर फल निकलने तक कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाए, तो पैदावार में बड़ी बढ़ोतरी और ज्यादा लाभ मिल सकता है।

केले की बागवानी से बेहतर मुनाफा

झारखंड के पलामू जिले के झरी गांव के किसान ओमकार नाथ इसकी एक मिसाल हैं। जब अधिकांश लोग खेती में नुकसान देखते थे, ओमकार नाथ ने केले की वैज्ञानिक खेती अपनाकर अपनी जमीन को मुनाफे की फसल से भर दिया। उन्होंने बताया कि पौधों के लिए अच्छी और सही समय पर खाद और सही सिंचाई सफल उत्पादन की कुंजी है।

केले की बागवानी करने से पहले जाने आसान उपाए

पलामू जिले के खेती विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद कुमार बताते है कि खेत की मिट्टी की केले की फसल के लिए मिट्टी का pH 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। यदि pH कम हो तो रोपाई से 23 महीने पहले खेत में चूना डालना जरूरी है।जिससे मिट्टी अच्छी होती है और पौधों को ठीक पोषक तत्व मिलते हैं। रोपाई से पहले खेत में प्रति हेक्टेयर 4050 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर खाद डालना बहुत लाभकारी है।

इस तरीके से डालें खाद

वहीं किसान ओमकार नाथ के अनुसार पौधा रोपाई के समय किसान गड्ढों में फार्मयार्ड मैन्योर, नीम केक, कार्बोफ्यूरान, सिंगल सुपर फास्फेट और म्यूरेट ऑफ पोटाश की तय मात्रा मिलाएं। इससे पौधे को शुरुआती पोषण मिलता है और कीट-रोगों से बचाव भी होता है। रोपाई के 30 से 90 दिनों के बीच पौधे की बढ़वार के अनुसार नाइट्रोजन का छिड़काव करना जरूरी है।

कितने दिनों में डाले खाद

फूल आने के दौरान भी खाद का समय पर प्रयोग महत्वपूर्ण है। 90 से 120 दिन के बीच यूरिया और रोपाई के 120वें दिन म्यूरेट ऑफ पोटाश के साथ जिंक और बोरान का छिड़काव करने से फूल और फल दोनों में सुधार होता है। रोपाई के 150 से 180 दिन के बीच यूरिया, म्यूरेट ऑफ पोटाश और पोटेशियम नाइट्रेट का छिड़काव फल की गुणवत्ता बढ़ाता है।

 

 

 

 


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