
मधुमालती एक बेल जैसा पौधा है, जो आमतौर पर घरों की दीवारों और बगीचों में चढ़ा हुआ दिखाई देता है। इसके फूल बहुत सुंदर होते हैं। ये फूल रात में सफेद रहते हैं और दिन में गुलाबी और फिर लाल रंग में बदल जाते हैं। यह सिर्फ दिखने में ही सुंदर नहीं है, बल्कि इसके बहुत से औषधीय गुण भी होते हैं। आयुर्वेद में मधुमालती को त्वचा, पेट और डायबिटीज जैसी बीमारियों के इलाज में उपयोगी माना गया है।
अलग स्थानों पर अलग-अलग नाम
अंग्रेजी में इसे रंगून क्रीपर, चायनीज में हनीसकल, बंगाली में मधुमंजरी, तेलुगू में राधामनोहरम, असमिया में मालती, और झुमका बेल जैसे नामों से जाना जाता है। पौधे का बोटैनिकल नाम ‘कॉम्ब्रेटम इंडिकम’ है। मधुमालती ‘कैप्रीफोलिआसी’ परिवार से संबंधित है। इसकी लगभग 180 प्रजातियां हैं। इनमें से लगभग 100 प्रजातियां चीन में, 20 भारत में, 20 यूरोप में और 20 उत्तरी अमेरिका में पाई जाती हैं।
क्या हैं फायदे?
मधुमालती कई बीमारियों में फायदेमंद है। इसके फूल और पत्ते सर्दी-जुकाम, खांसी और बुखार में राहत दिलाते हैं। 1 ग्राम तुलसी के पत्ते में 2-3 लौंग और मधुमालती के फूल व पत्ते डालकर काढ़ा बनाएं और दिन में 2-3 बार पिएं। इससे ठंड से आराम मिलता है। इसके अलावा मधुमालती के फूलों में सूजन को कम करने वाले गुण होते हैं, जिससे जोड़ों के दर्द और गठिया में भी लाभ होता है।