
नई दिल्ली। गमले में पौधे लगाते समय सबसे बड़ी परेशानी तब होती है जब मिट्टी में चींटियां, मिलीपीड, सफेद कीड़े या छोटे-छोटे कीट पनपने लगते हैं। ये न सिर्फ मिट्टी को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि धीरे-धीरे पौधे की जड़ों को भी कमजोर कर देते हैं। कई बार पौधा स्वस्थ दिखते हुए अचानक मुरझा जाता है और वजह यही मिट्टी में छिपे कीड़े होते हैं। रासायनिक दवाओं के बजाय अगर घरेलू और प्राकृतिक उपाय अपनाए जाएं तो पौधे सुरक्षित और मिट्टी उपजाऊ बनी रहती है।
नीम का पानी – प्राकृतिक कीटनाशक
नीम सदियों से कीट नियंत्रण में इस्तेमाल किया जाता रहा है। नीम की पत्तियों को 15–20 मिनट तक पानी में उबालें और ठंडा होने पर उस पानी को मिट्टी और पौधे की जड़ों के पास स्प्रे करें। यह फंगस ग्नैट, सफेद कीड़े और हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करता है। नियमित रूप से 7–10 दिन में एक बार स्प्रे करने से मिट्टी पूरी तरह कीट-मुक्त रहती है।
हल्दी पाउडर
हल्दी में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं। मिट्टी की ऊपरी परत पर हल्का हल्दी पाउडर छिड़कें। यह फंगस और कीड़ों की वृद्धि को रोकता है और मिट्टी को संक्रमणमुक्त रखता है। साथ ही पौधे की जड़ें मजबूत बनती हैं और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है।
दालचीनी पाउडर डालें
दालचीनी का पाउडर न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि यह मिट्टी के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसकी थोड़ी-सी मात्रा मिट्टी में डालने से फंगस, मच्छर के लार्वा और अन्य कीटों की वृद्धि रुक जाती है। यह पौधों की जड़ों को सड़ने से भी बचाता है।
मिट्टी को धूप में सुखाना
अगर मिट्टी बहुत ज्यादा संक्रमित हो गई है, तो उसे धूप में फैलाकर 2–3 दिनों तक सुखाएं। धूप की गर्मी मिट्टी में मौजूद कीड़े, अंडे और हानिकारक बैक्टीरिया को मार देती है। यह सबसे आसान और प्राकृतिक तरीका है जिससे मिट्टी दोबारा उपयोग के योग्य बन जाती है।
सरसों खली का पानी
सरसों खली को 2–3 दिन पानी में भिगोकर उसका घोल तैयार करें और मिट्टी में डालें। यह घोल कीड़े मारने के साथ-साथ पौधे को पोषण भी देता है। इसमें मौजूद सल्फर और नाइट्रोजन मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं और कीटों की रोकथाम करते हैं।
काफी ग्राउंड्स – चींटियों का दुश्मन
कॉफी के बचे हुए चूर्ण को फेंकने की बजाय मिट्टी की ऊपरी परत पर डालें। इसकी खुशबू और प्राकृतिक एसिडिटी चींटियों व छोटे कीड़ों को दूर भगाती है।