हिमाचल प्रदेश में सेब की जगह अब स्टोन फ्रूट की बागवानी

26 Nov 2025 12:41:50


नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम पैटर्न और तापमान में लगातार वृद्धि के चलते निचले क्षेत्रों में सेब की जगह स्टोन फ्रूट ने लेनी शुरू कर दी है। प्रदेश के निचले एवं मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अब सेब की जगह स्टोन फ्रूट आडू, प्लम, खुबानी, चेरी की पैदावार तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों के अनुसार सेब की पारंपरिक बेल्ट अब लगभग 2000 मीटर ऊंचाई की ओर शिफ्ट हो चुकी है।जबकि पहले 1200 से 1600 मीटर तक के क्षेत्र सेब उत्पादन के लिए उपयुक्त माने जाते थे।

मौसम साथ नहीं देने से दिक्कत

मौसम साथ नहीं देने के कारण चिलिंग ऑवर्स में कमी के कारण पुराने सेब के पौधे अब पहले की तरह उत्पादन नहीं दे रहे। दूसरी ओर स्टोन फ्रूट अधिक तापमान सहन कर लेते हैं और जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक प्रतिरोधी हैं। यही कारण है कि सेब बाहुल्य क्षेत्रों के निचले इलाकों में बड़ी संख्या में बागवान सेब के स्थान पर स्टोन फ्रूट को विकल्प के रूप में अपना रहे हैं। सेब की नई हाई-डेंसिटी किस्में बाजार में उपलब्ध हैं, लेकिन उनकी लागत काफी अधिक है, जिस कारण छोटे और मध्यम स्तर के किसान उन्हें अपनाने में हिचकिचा रहे हैं।

जहां सबसे पहले सेब वहां बढ़ी गुठलीदार फलों की खेती

शिमला के थानाधार में प्रदेश में सबसे पहले सेब के पौधे लगाए गए थे। वहीं बागवान अब जलवायु परिवर्तन के कारण गुठलीदार फलों की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं। कोटगढ़-कुमारसैन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर गुठलीदार फलों की खेती हो रही है। बागवान हरिचंद का कहना है कि सेब का स्थान गुठलीदार फल ले रहे हैं। बड़े पैमाने पर बागवानों ने गुठलीदार फलों की खेती शुरू कर दी है।

 

 

 

 

 

 

 

 


Powered By Sangraha 9.0