सहारनपुर की बागवानी में घुल रही लखनऊ और इलाहाबाद की मिठास

03 Nov 2025 10:51:08



नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की बागवानी में लखनऊ और इलाहाबाद प्रजाति के अमरूद की मिठास घुल रही है।नई प्रजाति लगाने से बागवानों को खासा फायदा हो रहा है। सर्दी में फसल आने से दाम भी अधिक मिलते हैं। इसी का नतीजा है दस साल में 900 हेक्टेयर से अमरूद की बागवानी का रकबा 2,700 हेक्टेयर पहुंचा। तो सालभर में रकबा 3,500 हेक्टेयर पहुंच गया हैं। जिले की जलवायु बागवानी के लिए अनुकूल है। इसके चलते यहां पर अमरूद के अलावा लीची, लोकाट, आड़ू के साथ ही अमरूद की बागवानी खूब हो रही है। खासकर जिले के बेहट, नागल, देवबंद ब्लाक में अमरूद की बागवानी हो रही है। अन्य फलों की तुलना में जनपद के बागवान अमरूद की बागवानी को काफी पसंद कर रहे हैं।

अमरूद की रोपाई नए बागों के बीच

इसका कारण अमरूद का बढ़िया उत्पादन और नई प्रजाति का होना है। अच्छे भाव के चलते ज्यादातर बागवान सर्दियों की फसल को अधिक लगाते हैं। जल्दी फसल देने के साथ अमरूद की रोपाई, लीची और आम के नए बागों के बीच कर रहे हैं। कुछ बागवान अमरूद की सघन बागवानी भी कर रहे हैं। कम क्षेत्रफल में अधिक फसल देने वाली किस्मों की तरजीह दे रहे हैं।

सौ बीघा में फरूखाबादी प्रजाति

बागवानों के अनुसार करीब सौ बीघा में फरूखाबादी प्रजाति का अमरूद का बाग लगाया है। पांच वर्ष की आयु होने पर पेड़ फसल देने लगता है। इस प्रजाति का फायदा है कि इसका बीज छोटा होता है। दवाई भी कम डालनी पड़ती है। फसल अक्तूबर से आनी शुरू हो जाती है। जिसका अधिक दाम मिलता है। वर्तमान में अमरूद की नई किस्मों से अच्छा फायदा हो रहा है। आम के बाग के साथ अमरूद के पेड़ लगाए हैं। बागवान का रूख भी अमरूद की बागवानी की ओर हो रहा है। हम अपने बागों में रासायनिक खादों का कम से कम प्रयोग करते हैं।

 


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