
नई दिल्ली। काजू को ‘सफेद सोना’ कहा जाता है क्योंकि यह एक बार निवेश के बाद कई सालों तक लगातार कमाई देता है। इसकी बाजार में हमेशा मांग रहती है और कीमत भी काफी अच्छी मिलती है। भारत को दुनिया के सबसे बड़े काजू उत्पादक देशों में जाना जाता है। में से एक है जहां गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में बड़े पैमाने पर इसकी खेती होती है अब धीरे-धीरे देश के कई हिस्सों में किसान काजू की खेती की ओर रुख कर रहे हैं।
मिट्टी और जलवायु
काजू की खेती के लिए गर्म और नम जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है। यह समुद्र तल से लेकर सात सौ मीटर ऊंचाई तक के इलाकों में अच्छी होती है। इसके लिए रेतीली या दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है जिसमें पानी का निकास अच्छा हो।
कैसे करें देखभाल
काजू की खेती में नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है ताकि पौधे अच्छी तरह बढ़ सकें जैसे-जैसे पेड़ बड़े होते हैं, उन्हें ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन फूल आने और फल लगने के समय सिंचाई करने से उत्पादन बेहतर होता है।
घर में भी उगा सकते हैं काजू
अगर आपके पास जगह का आभाव है तो आप घर के आस-पास या फार्म हाउस में काजू लगाना चाहते हैं, तो यह भी संभव है। बस यह ध्यान रखें कि जगह धूपदार हो, मिट्टी का जलनिकास अच्छा हो और शुरुआती वर्षों में पौधों को पर्याप्त पानी मिले।
कटाई और उत्पादन
काजू के पेड़ तीन से चार साल में फल देना शुरू कर देता हैं। मार्च से मई के बीच काजू का फल पकता है। जब फल पूरी तरह विकसित हो जाएं तो उन्हें गिरने के बाद जमीन से इकट्ठा किया जाता है। इसके बाद फल से बीज अलग किया जाता है और धूप में सुखाया जाता है।