
नई दिल्ली। अगर आप स्थायी खेती से मुनाफा कमाने की सोच रहे हैं, तो पलाश की खेती आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यह एक ऐसी फसल है, जो न केवल कम लागत में ज्यादा मुनाफा देती है, बल्कि 30 साल तक लगातार आय का साधन बन सकती है। पलाश का पेड़ भारत के अधिकांश हिस्सों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है और इसे परसा, ढाक, टेसू या किशक जैसे नामों से भी जाना जाता है। इसके फूल, बीज, पत्ते, लकड़ी, छाल और जड़ तक सब कुछ बाजार में ऊंचे दामों पर बिकता है।
खेती की शुरुआत और तैयारी
पलाश की खेती शुरू करने के लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई जरूरी होती है, ताकि मिट्टी भुरभुरी और उपजाऊ बन सके। इसके बाद मिट्टी में गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट जैसे जैविक खाद का प्रयोग करने से पौधों की बढ़वार और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है।
फूलों से कमाई का अच्छा मौका
पलाश के पौधे रोपाई के लगभग 3 से 4 साल बाद फूल देना शुरू कर देते हैं। इसके चमकीले नारंगी-लाल फूल बाजार में जैविक रंग बनाने के लिए बड़ी मात्रा में खरीदे जाते हैं। होली के दौरान प्राकृतिक रंगों की मांग बढ़ने से पलाश के फूलों की कीमत आसमान छूने लगती है।आयुर्वेदिक दवाओं में भी इन फूलों का इस्तेमाल त्वचा रोग, सूजन और संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है।
बीज, पत्ते और लकड़ी की मांग
पलाश के बीजों से निकलने वाला तेल औषधीय दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। इसका उपयोग आयुर्वेदिक उपचारों में किया जाता है। वहीं, इसकी पत्तियों का उपयोग इको-फ्रेंडली पत्तल बनाने में किया जाता है, जो अब प्लास्टिक के विकल्प के रूप में काफी लोकप्रिय हो रही हैं। इसकी लकड़ी हल्की और मजबूत होती है, जो फर्नीचर, कागज निर्माण और ईंधन के रूप में खूब काम आती है।