
नई दिल्ली। उत्तराखंड की मिट्टी व जलवायु सिर्फ मोटे अनाज की खेती व सेब उत्पादन तक सीमित नहीं रह गई। अब कीवी, ड्रैगन फ्रूट्स, सगंध फसलों व फूलों से उत्तराखंड की खेती महक रही है। वहीं, मशरूम व शहद उत्पादन भी आमदनी का बढ़ा जरिया बना है। उत्तराखंड में 2.97 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में बागवानी फसलों के अधीन हैं। इसमें पांच लाख से अधिक किसान बागवानी फसलों की खेती कर रहे हैं। राज्य गठन से पहले उत्तराखंड के पर्वतीय व मैदानी क्षेत्रों में मोटे अनाजों की खेतकों बदलाव के साथ नकदी फसलों को किसानों ने अपनाया है।
बढ़ा फूलों की खेती का रकबा
फूलों का बाजार खूब लगातार बढ़ रहा है। राज्य गठन के समय उत्तराखंड में 150 हेक्टेयर पर फूलों की खेती होती थी। जो वर्तमान में 1650 हेक्टेयर तक पहुंच गई है। किसान जरबेरा, कारनेशन, ग्लेडियोलाई, गुलाब, लिलियम, रजनीगंधा समेत अन्य फूलों का उत्पादन कर रहे हैं।
उत्तराखंड का सेब बना पहचान
राज्य गठन से पहले चाखुटिया में विदेश से आयात की गई सेब की प्रजाति की नर्सरी तैयार की गई। यहां से हिमाचल के लिए सेब पौधे ले जाए गए। लेकिन उत्तराखंड सेब उत्पादन में पहचान नहीं बनाया था। हिमालय व जम्मू कश्मीर का सेब देश दुनिया में प्रसिद्ध था। उत्तराखंड में सेब उत्पादन में आगे बढ़ रहा है। अब यहां के सेब को पहचान मिल रही है।