
नई दिल्ली।उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद की अतरौली तहसील स्थित गांव शेरगढ़ के एक प्रगतिशील किसान ने पारंपरिक खेती को छोड़कर आधुनिक कृषि की राह अपनाई है। किसान ने सरकारी योजनाओं के सहयोग से अपने 25 बीघा खेत में ठंडे क्षेत्रों में उगाई जाने वाली स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की, जिससे न केवल उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे किसान विपिन कुमार शर्मा बताते हैं कि पहले वे गेहूं, मक्का और बाजरा जैसी पारंपरिक फसलें उगाते थे। हरियाणा यात्रा के दौरान जब उन्होंने वहां स्ट्रॉबेरी की खेती देखी, तो उनके मन में भी इसे अपने गांव में करने का विचार आया। इसके बाद उन्होंने अपने खेतों में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की, जो अब लाभ का बड़ा जरिया बन गई है। स्ट्रॉबेरी के पौधे अमेरिका से मंगाए जाते हैं और खेती में इजरायल की आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इस खेती के माध्यम से वे अपने आसपास के करीब 40 लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने की 1.5 लाख की मदद
विपिन कुमार शर्मा बताते हैं कि भारत सरकार की सहायता से खेतों में ड्रिप सिंचाई प्रणाली लगाई गई है, वहीं उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पौधों के लिए करीब डेढ़ लाख रुपये की आर्थिक सहायता मिली है। स्ट्रॉबेरी स्वास्थ्य के लिहाज से भी बेहद लाभकारी फल है। तैयार फसल को दिल्ली की आजादपुर मंडी में अच्छे दामों पर बेचा जाता है। स्ट्रॉबेरी की खेती में प्रति बीघा करीब डेढ़ लाख रुपये का खर्च आता है।यह छह महीने की फसल होती है, जो दो महीने में फल देना शुरू कर देती है।
स्ट्रॉबेरी ने बदली मजदूरों की जिंदगी
खेत में काम कर रहे मजदूरों ने बताया कि पहले वे गेहूं और सरसों की खेती में मजदूरी करते थे, जहां उन्हें 200 से 300 रुपये प्रतिदिन मिलते थे। अब स्ट्रॉबेरी की खेती में काम करने पर उन्हें 400 से 500 रुपये प्रतिदिन मजदूरी मिल रही है। मजदूरों का कहना है कि अपने ही गांव में काम मिलने से वे काफी खुश हैं।