
नई दिल्ली।केसर के पुष्प का उल्लेख आते ही मन-मस्तिष्क पर एक दृश्य उभरता है। तीन को समेटे नीले बैंगनी पुष्पों से सजी कश्मीर की वादियां। लेकिन अब केसर की सुगंध ही नहीं, इसकी खेती भी कश्मीर से बाहर लहलहाने लगी है। बागवानी के शौकीन विनोद कुमार शुक्ल गोरखपुर में अपने घर के कमरे में केसर उगा रहे हैं। इसके लिए उन्हें कमरे में कश्मीर जैसे वातावरण का प्रबंध करना पड़ा है।रुस्तमपुर में आजाद चौक के पास रहने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जिला गो सेवा प्रमुख विनोद कुमार शुक्ल को बायोटेक्नोलाजी में एमटेक बीटिया नेहा ने एक दिन बातों ही बातों में खेती-किसानी में होते नवाचारों की जानकारी दी। समझाया कि किस तरह एरोपोनिक विधि से एक कमरे में कश्मीर सा वातावरण तैयार कर यहां भी केसर उगाया जा सकता है।
हिमाचल में लिया प्रशिक्षण
रोचक बतकही से उपजी उत्सुकता के बाद इस बारे में जानने-समझने के लिए विनोद हिमाचल प्रदेश के सोलन गए और एक सप्ताह का प्रशिक्षण प्राप्त किया। वापस लौटकर नौ गुणा 16 फीट के आकार वाले कमरे में एरोपोनिक विधि से केसर की खेती के लिए पांच लाख की लागत से सेटअप तैयार किया। तापमान नियंत्रित रखने वाली प्रभावी चिलर मशीन लगाई, जिससे कमरे में बर्फ तक जम जाती है।
रंग-बिरंगी रोशनी का प्रबंध
आर्द्रता नियंत्रण के लिए दो मशीनें और पौधों को अनुकूल वातावरण देने के लिए रंग-बिरंगी रोशनी का प्रबंध किया गया। नोएडा निवासी रमेश ने भी उनको तकनीकी सुझाव दिए। प्रशिक्षण के बाद वह कश्मीर जाकर 1300 रुपये प्रति किलो की दर से 80 किलो बीज खरीदा। बीते अगस्त महीने में केसर की खेती शुरू की। सुबह के समय कमरे में यू-ट्यूब से पक्षियों की चहचहाहट और गायत्री मंत्र बजाते हैं।
तापमान नियंत्रण है सबसे महत्वपूर्ण
विनोद के अनुसार एरोपोनिक विधि में बिना मिट्टी के पौधों की जड़ें हवा में रखी जाती हैं। पोषक तत्वों को धुंध के रूप में दिया जाता है। वे बताते हैं कि बीज को लाकर उन्होंने 20-20 लीटर पानी भरे अलग- अलग टब में रख दिया। प्रत्येक में खाने वाला 50-50 ग्राम चूना मिलाया। करीब पांच मिनट के बाद सभी बीजों को निकालकर पंखे की हवा के नीचे सुखाया। इसके बाद लकड़ी के ट्रे में उनको सजा दिया।