
नई दिल्ली। राजधानी में धूल के प्रदूषण को कम करने के लिए अब रोड कटिंग साइट पर कम से कम दो मीटर उंची डस्ट बेरियर वॉल लगानी होगी। साथ ही साइट पर यह बोर्ड भी लगाना होगा कि यह काम कब तक पूरा होगा। दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने रोड कटिंग को लेकर स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) जारी किए हैं। इस एसओपी में दस नियम हैं।
रोड कटिंग के लिए बनाई गई एसओपी
रोड कटिंग की यह एसओपी पूरे साल के लिए बनाई गई है। इसमें कहा गया है कि यदि रोड कटिंग का काम 18 मीटर या इससे अधिक लंबा है तो वहां कम से कम दो मीटर ऊंचाई की डस्ट बैरियर वॉल बनेगी। यह वॉल धूल को निर्माण क्षेत्र से बाहर जाने से रोकेगी। निर्माण स्थल पर मलबा, मिट्टी व अन्य निर्माण सामग्री को पूरी तरह ढककर रखने के साथ उस पर पानी का छिड़काव करना होगा।
रोड कटिंग एजेंसी को देनी होगी जानकारी
खुदाई से निकली सामग्री को तिरपाल या ग्रीन नेट से पूरी तरह ढककर रखा जाएगा। मलबा व निर्माण सामग्री लाने के लिए जिन गाड़ियों का इस्तेमाल होगा वह पूरी तरह ढकी होंगी। मलबे व निर्माण सामग्री को सड़क व फुटपाथ पर रखने की बजाय निर्माण स्थल पर ही रखा जाएगा। एसओपी में कहा गया है कि रोड कटिंग एजेंसी को साइट पर डिस्प्ले बोर्ड लगाकर यह जानकारी देनी होगी कि यह काम कब तक पूरा होगा और कौन इसे बना रहा है।
DPCC की रिपोर्ट जारी
साहिबाबाद ड्रेन ने यमुना को सबसे अधिक प्रदूषित किया है। यह खुलासा दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमिटी (DPCC) की रिपोर्ट में हुआ है। डीपीसीसी ने यमुना में गिरने वाले सभी 27 नालो की रिपोर्ट जारी कर दी है। यमुना प्रदूषण को लेकर सबसे पहला नाम नजफगढ़ और शहादरा ड्रेन का आता है। लेकिन अकटूबर की रिपोर्ट में साहिबाबाद ड्रेन सबसे अधिक प्रदूषित रही है।