
नई दिल्ली। स्ट्रॉबेरी की मांग हर साल तेजी से बढ़ रही है। जूस, आइसक्रीम, बेकरी और हेल्थ-फूड उद्योग में इसकी खपत लगातार बढ़ने से किसानों के लिए यह एक लाभदायक फसल बन चुकी है। खास बात यह है कि अब स्ट्रॉबेरी केवल पहाड़ी इलाकों या ठंडे मौसम में ही नहीं, बल्कि बिना खेत के भी हाइड्रोपोनिकतकनीक से कहीं भी उगाई जा सकती है।
क्या है हाइड्रोपोनिक तकनीक
हाइड्रोपोनिक्स एक आधुनिक खेती प्रणाली है जिसमें मिट्टी की जगह पोषक तत्वों से भरपूर घोल न्यूट्रिएंट सॉल्यूशन का उपयोग किया जाता है। इसमें पौधे पाइप में लगाए जाते हैं और पानी में घुले पोषक तत्व जड़ों तक सीधे पहुंचते हैं। इस तकनीक में खेत की जरूरत नहीं, कम पानी में फसल, रोग कम और उत्पादन ज्यादा मिलता है।
मौसम पर निर्भरता खत्म
ग्रीनहाउस/पॉलीहाउस में टेम्परेचर नियंत्रित किया जाता है। इसलिए किसी भी मौसम, किसी भी राज्य में स्ट्रॉबेरी उगाई जा सकती है।
उत्पादन में 2-3 गुना उछाल
पारंपरिक खेती में 1 एकड़ से 6-8 टन स्ट्रॉबेरी मिलती है। हाइड्रोपोनिक्स में यह बढ़कर 10-15 टन तक पहुंच जाती है।
पानी की खपत 90% कम
खेती के लिए क्या चाहिए?
नेट पॉट- जिसमें पौधा लगाया जाता है.
ग्रोइंग मीडिया- कोकोपीट, परलाइट, वर्मीकुलाइट का मिश्रण.
न्यूट्रिएंट सॉल्यूशन- स्ट्रॉबेरी के लिए NPK, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि का सही संतुलन.
पानी का सर्कुलेशन सिस्टम- ड्रिप लाइनों के माध्यम से पोषण मिलता है.
टेम्परेचर कंट्रोल- 15-26°C स्ट्रॉबेरी के लिए आदर्श तापमान.