
नई दिल्ली। कोकण के हापुस अल्फांसो आम को दुनिया भर में उसकी खुशबू, स्वाद और क्वालिटी के लिए जाना जाता है। साल 2018 में इसे GI टैग मिला, जिससे इसकी पहचान और कीमत दोनों मजबूत हुई। लेकिन अब गुजरात के वलसाड जिले के एक खास आम को भी हापुस नाम से GI टैग दिलाने की कोशिश की जा रही है, जिससे कोकण के किसानों में चिंता बढ़ गई है।
वलसाड़ी हापुस को भी पहचान दिलाने की मांग
गुजरात की नवसारी एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी और गांधीनगर यूनिवर्सिटी ने रिक्वेस्ट की है कि वलसाड ज़िले के आम, जिसका नाम "वलसाडी हापुस" है, को 2023 में GI टैग दिया जाए। उनका कहना है कि वलसाड और नवसारी, कोंकण जैसे तटीय इलाकों से ज्योग्राफिकल तौर पर मिलते-जुलते हैं, और इसलिए वे इस पहचान के हकदार हैं।
कोकण किसानों की चिंता बढ़ी
कोकण हापुस की पहचान कमजोर होगी,
किसानों की आमदनी पर सीधा असर पड़ेगा,
और “हापुस” नाम का असली मूल्य कम हो सकता है।
पवार ने सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है, क्योंकि हापुस आम कोकण की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत है।
किसानों का तर्क नाम बदलिए, टैग नहीं
देवगड तालुका मैंगो ग्रोअर्स कोऑपरेटिव सोसाइटी के अध्यक्ष अजीत गोगाटे का कहना है कि गुजरात अपने आम को GI टैग दिलाए, इसमें किसी को आपत्ति नहीं है। लेकिन ‘हापुस’ नाम का उपयोग गलत है। उनका सुझाव है कि गुजरात अपने आम के लिए कोई दूसरा नाम उपयोग करे, जैसे- वलसाड आम।
GI टैग के रखवाले कौन हैं?
कोकण में GI टैग को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी कई संस्थाओं पर है, जैसे
देवगड तालुका मैंगो ग्रोअर्स कोऑपरेटिव
रत्नागिरी की KHMGSCSL सोसाइटी
दापोली की कृषि यूनिवर्सिटी
केलशी क्षेत्र मैंगो ग्रोअर्स यूनियन