
नई दिल्ली।अनार भारत में एक बेहद लोकप्रिय फल है, जिसे उसके मीठे दानों, औषधीय गुणों और बाजार में अच्छी कीमत के लिए जाना जाता है। लेकिन अनार की खेती करने वाले किसानों के सामने एक बड़ी चुनौती बार–बार सिर उठाती है फलों का फटना। यह समस्या न केवल उत्पादन को प्रभावित करती है, बल्कि बाजार में फलों की कीमत भी गिरा देती है। कई बार मेहनत से उगाए गए अनार सिर्फ इसलिए खराब हो जाते हैं क्योंकि वे समय से पहले फट जाते हैं।
अनार के फल फटने की मुख्य वजहें
अनार का फल जितना मजबूत दिखता है, उसकी बाहरी त्वचा उतनी ही संवेदनशील होती है। पौधे में पानी, तापमान और पोषण का जरा-सा भी उतार–चढ़ाव छिलके को कमजोर बना देता है और फल फटने लगता है।
अनियमित सिंचाई सबसे बड़ा कारण
अनार के फटने की सबसे आम वजह है पानी की अनियमितता। यदि पौधे को लंबे समय तक कम पानी मिले और अचानक अधिक सिंचाई कर दी जाए, तो फल के दाने तेजी से फूलते हैं।इस अचानक फैलाव को बाहरी छिलका सहन नहीं कर पाता और फल फट जाता है।
मौसम में अचानक बदलाव
अनार का पौधा तापमान और नमी दोनों के प्रति संवेदनशील होता है। तेज गर्मी, अचानक बारिश, या ठंडी हवाओं के बढ़ जाने से भी फलों के अंदर–बाहर का संतुलन बिगड़ जाता है। ऐसे में फल पकने की प्रक्रिया धीमी या तेज हो जाती है, जिससे फल कमजोर होकर फट सकता है।
पोषक तत्वों की कमी
यदि मिट्टी में कैल्शियम, बोरॉन या पोटाश जैसे जरूरी पोषक तत्व कम हों, तो फल की त्वचा पतली और कमजोर बनती है। कमजोर छिलका थोड़े से दबाव में भी टूट सकता है। यह पोषण की कमी अक्सर उन खेतों में ज्यादा होती है जहां मिट्टी लंबे समय तक एक ही तरह की खेती झेल रही हो।
ज्यादा पक जाना
कई बार किसान सोचते हैं कि फल को थोड़ा और पेड़ पर रहने दें तो वह और मीठा हो जाएगा। लेकिन लंबे समय तक फलों को लटकाए रखने से उनकी छाल कठोर होने लगती है और दानों में नमी बढ़ जाती है। इस दबाव से भी फल फट जाते हैं।