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रामगढ़: झारखण्ड के जिला रामगढ़, खासकर मांडू प्रखंड में हाल ही में हुई असमय वर्षा और ओलावृष्टि ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। खेतों में उगाई गई टमाटर, बैंगन, मिर्च, लौकी और कद्दू जैसी सब्जियों के साथ-साथ आम, लीची और पपीता जैसी बागवानी फसलें भी इस प्राकृतिक आपदा से बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र मांडू, रामगढ़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि फूल और फल झड़ने से उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे समय रहते जरूरी सावधानियां बरतें ताकि फसल को और अधिक नुकसान से बचाया जा सके।
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किसानों के लिए डॉ. शेखर की सलाहें: खेतों में पानी ज्यादा समय तक न ठहरे, इसके लिए पानी निकासी की उचित व्यवस्था करें। फसल को फफूंदी से बचाने के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या मैंकोजेब (3 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। खराब हो चुके पौधों को हटाएं और खेत की साफ-सफाई रखें ताकि कीट व रोग फैलने से रोका जा सके। सूक्ष्म पोषक तत्व और जैविक उर्वरक इस्तेमाल कर फसल की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं। जिन किसानों ने फसल बीमा कराया है, वे तुरंत नुकसान की सूचना संबंधित विभाग को दें। दोबारा बुवाई की योजना बनाएं और मौसम के अनुसार सहनशील किस्में चुनें।
इस मुश्किल समय में वैज्ञानिकों की ये सलाहें किसानों के लिए मार्गदर्शक साबित हो सकती हैं। खेत में मेहनत करने वाले किसान यदि समय रहते सतर्क हो जाएं, तो नुकसान को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।