
चार साल पहले विकास मेहरा ने पालमपुर स्थित कृषि विश्वविद्यालय से डोर्सेट गोल्डन किस्म के चार सेब के पौधे लाकर अपने घर में लगाए थे। शुरुआत में शौक के तौर पर लगाए गए इन पौधों से अब उन्हें आशा से कहीं अधिक फल मिले हैं।
विकास बताते हैं कि तीसरे वर्ष भी पौधों पर फल लगे थे, लेकिन मात्रा कम थी। इस बार चौथे साल में पौधों ने बंपर फसल दी है और सेब का आकार व गुणवत्ता भी बेहतरीन है। बागवानी के शौकीन विकास को सेब की खेती की ज्यादा जानकारी नहीं थी। ऐसे में उन्होंने यूट्यूब वीडियोज और कृषि विशेषज्ञों की मदद से पौधों की प्रूनिंग (टहनी काटने की तकनीक) व देखभाल सीखी। पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने उन्हें समय-समय पर मार्गदर्शन भी दिया।
यह सफलता दिखाती है कि यदि सही किस्म चुनी जाए और देखभाल सही तरीके से हो तो गर्म इलाकों में भी सेब की खेती सफल हो सकती है। विकास मेहरा की यह कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी बताती है कि तकनीक और जुनून के सहारे कोई भी काम संभव है।