
सेवंती की बुवाई के लिए जनवरी का पहला हफ्ता सबसे अच्छा समय माना जाता है। इसकी रोपाई के लिए प्रति हेक्टेयर करीब 43,500 पौधे लगाए जाते हैं। पौधों के बीच 30×30 सेंटीमीटर की दूरी रखना जरूरी होता है।पौधों को रोगों से बचाने के लिए जड़युक्त कटिंग को 0.25% कार्बेन्डाजिम फफूंदनाशी में आधे घंटे तक उपचारित करना जरूरी होता है। उर्वरक प्रबंधन में 20 टन गोबर की खाद के साथ 125 किलोग्राम नत्रजन, 100 किलोग्राम फास्फोरस और 80 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर जरूरी होता है।
20 और 35 दिन बाद दो बार हेंड वीडिंग करनी चाहिए, जिससे खरपतवारों से नुकसान न हो। कीटों जैसे एफिड, थ्रिप्स, माइट्स से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड या थीयोमेथोक्साम का छिड़काव किया जा सकता है। फफूंद से बचाने के लिए कार्बेन्डाजिम का छिड़काव हर 15-20 दिन में करें, और झुलसन की स्थिति में मेंकोजेब प्रभावी होता है।
सेवंती फूल की मांग खासकर मंदिरों, पूजा-पाठ और त्योहारों में बहुत रहती है। इसकी सजावटी उपयोगिता भी इसे बाजार में लोकप्रिय बनाती है। इसलिए यह फूल किसानों के लिए न सिर्फ कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाला है, बल्कि फ्लोरीकल्चर के क्षेत्र में नए अवसर भी खोलता है।