
कलीम उल्लाह खान ने ग्राफ्टिंग तकनीक की मदद से इस पेड़ को तैयार किया है। यह तकनीक पेड़ की अलग-अलग शाखाओं पर विभिन्न किस्मों को जोड़ने की कला है। इस पेड़ पर दशहरी, केसर, तोतापरी, अल्फांसो जैसी दुर्लभ किस्मों के आम एक साथ फलते हैं।
कलीम उल्लाह खान कोई वैज्ञानिक नहीं हैं। उन्होंने सातवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी और अपने परिवार के आम के बाग की देखभाल करने लगे। मात्र 17 साल की उम्र में उन्होंने इस पेड़ को बनाना शुरू किया था। आज उनकी उम्र 84 साल है और उनका जुनून अब भी बरकरार है।
उन्हें इस अनोखे कार्य के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। उनकी नर्सरी में हर साल आम की नई वैरायटी तैयार होती है, जिन्हें वो खास हस्तियों के नाम पर रखते हैं। जैसे 'ऐश्वर्या', 'नमो', 'योगी', 'सचिन', 'डॉ. कलाम', और यहां तक कि 'कोरोना वॉरियर' आम भी मौजूद हैं। कलीम उल्लाह खान की यह उपलब्धि देश के लिए गर्व की बात है।