ग्लोबल वार्मिंग से प्रभावित हो रही है उत्तराखंड की फल उपज

26 May 2025 15:11:30
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देहरादून: उत्तराखंड के पहाड़ों में जलवायु परिवर्तन का असर अब साफ दिखने लगा है। इस बार बुरांश का फूल समय से पहले खिल गया, जिससे वैज्ञानिक पहले ही चिंतित थे। अब स्थिति और गंभीर हो गई है। सेब, आड़ू, आलूबुखारा, नाशपाती जैसे फल तेजी से गायब हो रहे हैं।
 

वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण पहाड़ों की ट्री लाइन हर साल ऊंचाई की ओर खिसक रही है। इसका असर न सिर्फ पेड़-पौधों पर, बल्कि फलों की खेती पर भी पड़ रहा है। अल्मोड़ा में फल उत्पादन में 84 फीसदी की गिरावट आई है, जो राज्य में सबसे अधिक है। चमोली में भी उत्पादन 53 फीसदी घटा है।

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इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट की रिपोर्ट बताती है कि पूर्वी हिमालय में सर्दियों और वसंत में तापमान बढ़ा है। इससे देवदार के पेड़ों में 38% की गिरावट आई है। वहीं, आम जैसे फलों में बौर समय से पहले आना शुरू हो गया है।

 

2016-17 में राज्य में 25,201 हेक्टेयर क्षेत्र में सेब की खेती होती थी, जो 2022-23 में घटकर 11,327 हेक्टेयर रह गई। इस दौरान उत्पादन में 30% गिरावट आई। वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि अगर तापमान बढ़ने की प्रक्रिया ऐसे ही जारी रही, तो कई पेड़-पौधे खुद को इस बदलाव के अनुकूल नहीं बना पाएंगे और विलुप्त होने की कगार पर पहुंच सकते हैं।

 
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