
फूलों की घाटी नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आती है। यहां की सभी व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी पार्क प्रशासन की होती है। इस बार खास बात यह है कि अब पर्यटक ऑनलाइन भी पंजीकरण कर सकते हैं। पहले केवल ऑफलाइन पंजीकरण की सुविधा थी, जो घांघरिया में उपलब्ध रहती थी।
यह जगह पहले अपनी दुर्गम रास्तों की वजह से बाहरी दुनिया के लिए लगभग अनजान थी। साल 1931 में, जब ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस. स्माइथ, एरिक शिप्टन और आर.एल. होल्ड्सवर्थ माउंट कामेट चढ़ने के बाद वापस लौट रहे थे, तो रास्ता भटक कर इस घाटी में पहुँच गए। यह घाटी रंग-बिरंगे फूलों से भरी हुई थी, जिसकी सुंदरता ने उन्हें बहुत प्रभावित किया। उन्होंने इस जगह को "फूलों की घाटी" नाम दिया।
वन क्षेत्राधिकारी चेतना कांडपाल ने जानकारी दी कि ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा शुरू होते ही पर्यटकों ने घाटी आने की तैयारी शुरू कर दी है। जो पंजीकरण अब तक हुए हैं, वे सभी जून में घाटी घूमने के लिए हैं। पर्यटकों को पंजीकरण के लिए निर्धारित शुल्क जमा करना होगा। साथ ही, जिनके पास ऑनलाइन सुविधा नहीं है, उनके लिए घांघरिया में ऑफलाइन पंजीकरण की सुविधा भी उपलब्ध रहेगी।
फूलों की घाटी हर साल देश-विदेश से हजारों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यहां की रंग-बिरंगी फूलों की प्रजातियां, सुंदर नज़ारे और शांत वातावरण लोगों को खासा लुभाते हैं।