डॉ. संजय कुमार ने कहा कि बागवानी राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने विपणन, ब्रांडिंग और प्रसंस्करण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बताई। साथ ही, क्षेत्रीय फसलों को बढ़ावा देने और उपज की बर्बादी रोकने के लिए जीआई टैग वाले उत्पादों के विशेष मॉल और खुदरा स्टोर खोलने का सुझाव दिया।
आयोजन समिति के सचिव डॉ. फिजा अहमद ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को साझा किया, जिसमें 19 पेटेंट, एक ट्रेडमार्क, 56 किसान किस्मों का पंजीकरण और जीआई डाक टिकटों का जारी होना शामिल है।
डॉ. एच.पी. सिंह ने विकसित भारत अभियान के तहत सामूहिक प्रयास और उन्नत तकनीकों को अपनाने की बात कही। डॉ. ए.आर. पाठक ने फाउंडेशन के सदस्यों के योगदान को सराहा और उन्हें सम्मानित भी किया गया।
डॉ. एस.एन. झा ने मखाना और लीची पर विशेष अनुसंधान की आवश्यकता बताई, वहीं डॉ. आलोक के सिक्का ने 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को लेकर बागवानी के योगदान को रेखांकित किया। सम्मेलन में प्रमुख शोध पत्रों का विमोचन हुआ और उत्कृष्ट वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया। कुलपति डॉ. डी.आर. सिंह के नेतृत्व की भी सभी ने सराहना की।