
रून्नीसैदपुर प्रखंड के गाढ़ा गांव में राम पूजन कुशवाहा जैसे मेहनती किसान ‘कलकतिया’ और ‘पूसा बहार’ किस्म की गेंदा की खेती से हर दो महीने में 80-90 हजार रुपये तक की कमाई कर रहे हैं। वे बताते हैं कि धान और गेहूं की खेती में ज्यादा मुनाफा नहीं होता, इसीलिए फूलों की खेती शुरू की।
मई-जून महीनों के दौरान शादी-ब्याह और पूजा-पाठ युद्ध स्तर पर होता है इस हालत में गेंदा की मांग बहुत अधिक बढ़ जाती है, जिससे कीमतों में इज़ाफ़ा हो जाता है। यही वजह है कि किसान इस मौसम में फूल उगाने को प्राथमिकता देते हैं।
सीतामढ़ी में किसान फूलों की खेती के लिए जैविक खाद का प्रयोग कर कर रहे है ताकि की गुणवत्ता बना रहे। खेती में कम लागत, कम देखभाल और तेजी से तैयार होने वाले फूल किसानों को आर्थिक मजबूती दे रहे हैं। अगर सरकार का सहयोग जारी रहा तो वह समय दूर नहीं जब यह जिला फूलों का हब बन जाएगा। अगर ऐसा होता है तो स्थानई लोगों को रोज़गार के अवसर भी प्राप्त होंगे और बेरोज़गारी की समस्या भी दूर होगी।