
बीकानेर: बीकानेर जिले के पेमासर गांव के युवा किसान शिवकरण ने परंपरागत खेती से हटकर खजूर की खेती कर एक नई मिसाल कायम की है। घटते जलस्तर और पानी की खराब गुणवत्ता को देखते हुए उन्होंने 10 बीघा भूमि में 400 खजूर के पौधे लगाए। अब हर पौधे से 60 से 70 किलो खजूर की उपज हो रही है और उन्हें बाजार में 50 से 80 रुपए प्रति किलो का भाव मिल रहा है। इससे उन्हें सालाना 18 से 20 लाख रुपए की अतिरिक्त आय हो रही है।
शिवकरण पहले ग्वार, बाजरा, मूंगफली, सरसों जैसी पारंपरिक फसलें उगाते थे। बाद में उन्होंने उद्यान विभाग से सलाह लेकर टिश्यू कल्चर विधि से बरही, खुनैजी और मेडजूल किस्म के खजूर के पौधे लगाए। ड्रिप सिस्टम से सिंचाई और वैज्ञानिकों की तकनीकी मदद से उन्होंने खजूर की बागवानी को सफल बनाया।
शिवकरण ने बताया कि शुरुआत में उन्हें बारिश और परागण जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन कृषि स्नातक होने और विभागीय सहयोग से उन्होंने हार नहीं मानी। अब वह बीकानेर के साथ-साथ दिल्ली, पंजाब और गुजरात तक खजूर और इसके उत्पाद बेच रहे हैं।
उद्यान विभाग के सहायक निदेशक मुकेश गहलोत ने शिवकरण को जिले का सर्वश्रेष्ठ किसान बताया और कहा कि ऐसे किसानों को सरकार की योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए। खजूर की बागवानी पर सरकार 75% तक अनुदान देती है। किसानों को राज्य सरकार द्वारा देय अनुदान का लाभ लेते हुए क्षेत्र में अधिकाधिक फल बगीचा स्थापना करना चाहिए, इसके लिए व कृषि पर्यवेक्षक व सहायक कृषि अधिकारी से संपर्क कर योजना का लाभ ले सकते है।