
जरबेरा की खेती से किसान हो रहे मालामाल
बदलते समय में जहां पारंपरिक खेती किसानों को सीमित आमदनी दे रही है, वहीं जरबेरा फूल की खेती एक नया और लाभदायक विकल्प बनकर उभरी है। यह खेती न केवल कम लागत में की जा सकती है बल्कि सरकार की राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत किसानों को 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी मिल रही है। पॉलीहाउस तकनीक के ज़रिए संरक्षित खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे जरबेरा जैसे विदेशी फूलों की गुणवत्ता और उत्पादन में सुधार हो रहा है। इस दिशा में उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के कई किसानों ने हाथ आजमाकर यह साबित कर दिया है कि यदि इच्छा शक्ति हो तो खेती में भी बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है।
आंकड़ें बताते हैं कि जरबेरा के फूलों की एक एकड़ की खेती के लिए करीब 70 से 75 लाख रुपये की लागत आती है, जिसमें करीब 25 हजार पौधे लगाए जाते हैं। यह पौधे रोजाना लगभग 25 प्रतिशत उत्पादन देते हैं और एक बार लगाने के बाद लगातार छह सालों तक उत्पादन करते हैं। इस तरह इस खेती से सालाना 8 से 10 लाख रुपए का शुद्ध मुनाफा कमाया जा सकता है।
वहीं, जरबेरा की खेती में ड्रिप इरिगेशन तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इस तकनीक से पौधों को बूंद-बूंद पानी मिलता है, जिससे जल संरक्षण होता है और फसल की गुणवत्ता भी बनी रहती है।
इसके साथ ही सरकार से करीब 30 लाख रुपये की सब्सिडी मिलने से उनकी लागत का बड़ा हिस्सा कवर हो जाता है। इस तरह यह आम लोगों के लिए एक अच्छा कमाई का जरिया बनता जा रहा है। जबकि स्थानीय लोगों के लिए इससे रोजगार का स्रोत बन भी गया है। एक एकड़ में की खेती में करीब एक दर्जन लोगों को नियमित रोजगार मिल जाता है। इस तरह जरबेरा की खेती न सिर्फ उनके लिए लाभदायक साबित हो रही है, बल्कि गांव के कई अन्य परिवारों की आय का साधन भी बन गई है।