
आप जानते हैं कि उत्तराखंड एक देश का पहाड़ी राज्य है और वहां विशेषता ही पहाड़ों और जंगलों से रची-बसी है। वर्तमान में इन पहाड़ों पर खेती के तरीकों में बदलाव की बयार चल रही है। इस पहल में वहां की संस्था धाद और दून पुस्तकालय संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उत्तराखंड में गुठलीदार फलों जैसे आड़ू, प्लम और खुमानी की बागवानी को प्रोत्साहित करने के लिए धाद संस्था और दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र द्वारा संयुक्त रूप से एक विमर्श कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इन संस्थाओं द्वारा सामूहिकता में उत्तराखंड में स्टोन फ्रूट्स की खेती को बढ़ावा देने पर बहस छेड़ दी गई है ताकि आम लोगों तक इसकी पहुँच आसानी से हो सके। इन आयोजनों में विशेषज्ञों द्वारा किसानों की आय बढ़ाने और स्थानीय बाजार विकसित करने की संभावनाओं पर प्रकाश भी डाला जाता है। जैविक खेती और फलों की ब्रांडिंग पर जोर दिया जाता है ताकि उत्तराखंड फल उत्पादन में अग्रणी बन सके। कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने इन फलों की खेती की संभावनाओं और इससे किसानों की आर्थिकी को मिलने वाले लाभों पर विस्तार से चर्चा की जाती है और इसके फायदे बताए जाते हैं।
दूसरी तरफ, विभिन्न कृषक संगठनों के माध्यम से भी 1000 से 2000 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इन फलों का अच्छा उत्पादन कैसे किया जा सकता है जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं को रेखांकित भी किया जाता है। यदि स्थानीय बाजार विकसित हो जाएं तो किसानों को बड़े शहरों की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा। इसमें आड़ू, प्लम, खुमानी का महीना अभियान के तहत समाज, किसान और बाजार के बीच संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया जाता है। वहीं, इस संस्था ने बच्चों को जागरूक करने के लिए चलाए जा रहे बीज लाओ अभियान की उपयोगिता भी बताती है, जिसमें 10 हजार बच्चों को जोड़ने का लक्ष्य है। इन बच्चों को आने वाले समय में उत्तराखंड के बागवानी विशारद के रूप में उपयोगिता स्थापित करने की भी योजना है।