विदेशी पौधों के कारण जैव विविधता पर संकट मंडराया

Nursery Today    23-Jun-2025
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नई दिल्ली: अंग्रेजों ने दिल्ली और देश के दूसरे छेत्रों में हरियाली बढ़ाने के लिए कई पौधे भारत लाए थे। लेकिन ये विदेशी पौधे धीरे-धीरे जैव विविधता के लिए एक ख़तरा बनते जा रहे हैं। इन पौधों के कारण स्थानीय पेड़-पौधों का पूर्ण रूप से विकास नहीं हो पा रहा है। इतना ही नहीं, पर्यावरण और इंसानी सेहत के लिए भी ये पौधे हानिकारक साबित हो रहे हैं।
 

विशेषज्ञों द्वारा पांच विदेशी पौधों की पहचान की गई है: विलायती कीकर, सुबबूल, लैंटाना, गाजर घास (पार्थेनियम) और जलकुंभी। ये पौधे समय-समय पर अलग-अलग उद्देश्यों से भारत लाए गए थे।

इन पौधों का विकास बहुत तेज़ी से हो रहा है, जिससे स्थानीय पेड़-पौधों पर ख़तरा मंडरा रहा है। खासतौर पर जलकुंभी ने यमुना नदी और नजफगढ़ ड्रेन जैसे जल स्रोतों को पूरी तरह से ढक लिया है, जिस कारण सूरज की रोशनी का प्रवेश पानी के अंदर नहीं हो पाता है। इससे पानी में ऑक्सीजन की मात्रा घट जाती है और जलीय जीवन संकट में आ जाता है।

 

कैनोपी ओपनिंग तकनीक’ के द्वारा इन पौधों को हटाने की कोशिश की जा रही है, ताकि सूरज की रोशनी नीचे पानी तक पहुंच सके और स्थानीय पेड़-पौधे दोबारा आसानी से उग सकें। राजधानी दिल्ली में पौधारोपण के लिए स्थानीय प्रजातियों को बढ़ावा दिया जा रहा है।