
सभा को संबोधित करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “पीपराकोठी की धरती ऐतिहासिक है। यहीं से बापू ने सत्याग्रह और अहिंसा का संदेश दिया। यह भूमि किसानों के संघर्ष की प्रतीक रही है।” उन्होंने बताया कि पीपराकोठी में कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना और खेती को उन्नत बनाने के कई प्रयास किए गए हैं।
कृषि मंत्री ने बगवानी किसानों, विशेष रूप से लीची उत्पादकों से सीधा संवाद किया और और उनकी समस्याएं को भी सुना। किसानों ने चौहान को बताया कि लीची जल्द खराब होने वाला फल है। इस रसीले फल को 48 घंटों के अंदर ही बेचना पड़ता है, यही कारण है कि लीची उत्पादकों को फल का सही कीमत नहीं मिल पता है, जिससे अक्सर उनकी आर्थिक स्तिथि बहुत ख़राब रहती है। इस पर चौहान ने कहा कि सरकार इस समस्या का समाधान ढूंढेगी।
उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) को निर्देश दिए कि लीची को लंबे समय तक सुरक्षित रखने की तकनीक पर शोध करें। साथ ही, उन्होंने कोल्ड स्टोरेज की संख्या बढ़ाने और बगवानी उत्पादों को सुरक्षित रखने के उपायों पर बल दिया।
विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत किसान अपनी समस्यायों को मंत्री के समक्ष रख सकते हैं, फिर उस पर गौर और फ़िक्र करके उनका समाधान निकलने की कोशिश सरकार करेगी। यह अभियान किसानों के पक्ष में है। ऐसे कायक्रम से कृषि और बागवानी दोनों छेत्रों में तेज़ी से विकास होने की संभावना है।