किसान अब आम, अमरूद, बेर, बेल और किन्नू जैसी फसलों के साथ-साथ पत्ता गोभी, बंदगोभी, बैंगन, टमाटर, काशीफल, करेला, लौकी, तोरई, भिंडी और ग्वार जैसी सब्जियों की भी खेती कर रहे हैं। जिले के कई प्रगतिशील किसान परंपरागत खेती छोड़कर बागवानी और सब्जी उत्पादन की ओर बढ़ रहे हैं। इन किसानों की उपज न केवल स्थानीय मंडियों में, बल्कि दिल्ली और गाजियाबाद की मंडियों तक भी भेजी जा रही है।
शासन ने इस वित्तीय वर्ष के लिए बागवानी और सब्जियों की खेती का लक्ष्य तय कर दिया है। स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों को 80 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान मिलेगा, वहीं करौंदा, बेर और अमरूद जैसी फसलों पर 24 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाएगा। यह योजना 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर लागू की जाएगी। किसान खेती को लेकर अब अधिक जागरूक हो रहे हैं और नई तकनीकों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।