रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल की तुलना में इस साल जंगलों की कटाई के मामलों में 66 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 2014-15 से लेकर 2023-24 तक कुल 1 लाख 73 हज़ार हेक्टेयर वन भूमि का सफाया किया जा चुका है।
जल और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले चार दशकों में देश के चार प्रमुख राज्यों में वन क्षेत्र में भारी कमी आई है। इनमें मध्य प्रदेश में 22 प्रतिशत, ओडिशा में 14 प्रतिशत, तेलंगाना में 7 प्रतिशत और गुजरात में 6 प्रतिशत जंगल खत्म हो चुके हैं।
यह आँकड़े न केवल चिंता बढ़ाने वाले हैं, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करते हैं कि विकास के नाम पर प्रकृति से इतना बड़ा समझौता सही नहीं है, जोकि पर्यावरण के लिए भी बहुत हानिकारक है।