यह पूरा इलाका पहाड़ों और घने जंगलों से घिरा है। यहां सात आदिवासी किसानों ने वनाधिकार पट्टे पर मिली जमीन में 1,600 से ज्यादा लीची और 300 से अधिक आम के पेड़ लगाए हैं। इन फलों के अलावा टमाटर, लौकी, बरबट्टी, खीरा और करेला जैसी सब्जियां भी यहां के किसान उगा रहे हैं।
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गोलाघाट अब छत्तीसगढ़ के अन्य आदिवासी इलाकों के लिए एक उदाहरण बन चुका है। स्थानीय किसान बागवानी और सब्जी उत्पादन को तेजी से अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर बना रहे हैं और धीरे-धीरे आत्मनिर्भर भी बन रहे हैं। कुल मिलाकर, यह बदलाव ग्रामीण जीवन में बदलाव का एक नया संकेत भी है।