इस कार्यालय के माध्यम से किसानों, किसान उत्पादक संगठनों (FPO), प्रोसेसिंग यूनिट्स और कृषि उद्यमियों को प्रमाणीकरण, प्रशिक्षण, पैकहाउस स्वीकृति, ट्रेसेबिलिटी, मानकीकरण और तकनीकी सहायता जैसी सभी सेवाएं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध होंगी। इससे समय और लागत की बचत होगी और बिहार के कृषि उत्पादों को वैश्विक बाजार में बेहतर पहचान और मूल्य मिलेगा।
APEDA के स्थापना के बाद से ‘ग्रैंड नैन’ केला और ‘रेड लेडी’ पपीता जैसी किस्मों का उत्पादन अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होगा। सभी पैकिंग राज्य में ही होगी, जिससे बर्बादी कम होगी और किसानों को अधिक फायदा होगा। एफपीओ सीधे एपीडा से जुड़कर निर्यात आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बन सकेंगे। साथ ही, RPCAU, पूसा और BAU, सबौर जैसे कृषि विश्वविद्यालय किसानों को उत्पादन से लेकर निर्यात तक तकनीकी मार्गदर्शन देंगे।
बिहार में 2023 में कृषि निर्यात 17.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जिसमें बिहार शाही लीची (71%), मखाना (85%), और सब्ज़ी उत्पादन में अग्रणी है। एपीडा कार्यालय के आने से आने वाले वर्षों में बिहार कृषि निर्यात में देश का एक प्रमुख राज्य बन सकता है।