नक्सलियों का गढ़ रहा देव प्रखंड अब अमरूद की बागवानी से बना रहा है पहचान

Nursery Today    03-Sep-2025
Total Views |

last
 
औरंगाबाद: बिहार के औरंगाबाद जिले का देव प्रखंड, जो कभी नक्सली गतिविधियों और गोलियों की आवाज़ के लिए जाना जाता था, आज यह क्षेत्र अमरूद की खेती के लिए मशहूर है। खासकर दुर्गी गांव, जो नक्सलवाद का गढ़ था, आज यह गांव बारहमासी अमरूद के बागानों से फल-फूल रहा है। यहां की फसल बिहार के अलावा दूसरे राज्यों जैसे झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश तक पहुंच रही है।
 

इस बदलाव का श्रेय कुटुंबा प्रखंड के दधपा बिगहा गांव के रहने वाले नरेश कुमार को जाता है। नरेश ने 2022 में आंध्र प्रदेश और बंगाल के किसानों से प्रेरणा लेकर दुर्गी गांव में 65 एकड़ जमीन लीज पर लेकर बागवानी का काम शुरू किया। आज वे इसी पंचायत में 150 एकड़ में अमरूद की खेती सफलतापूर्वक कर रहे हैं।

नरेश ने सबसे पहले 40 हजार अमरूद के पौधे कोलकाता से मंगवाकर बागवानी की शुरुआत की थी। साल में एक पौधा दो बार यानी सर्दी और बरसात के मौसम में फल देता है और औसतन एक पेड़ से 25 से 30 किलो अमरूद प्राप्त होता है। व्यापारी सीधे गांव आकर इन्हें 25-30 रुपये किलो के भाव पर खरीद लेते हैं।

 

कम लागत वाली अमरूद की खेती ने स्थानीय किसानों और युवाओं को रोज़गार से जोड़ दिया है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। नरेश की सफलता को देखने के बाद से स्थानीय लोगों ने भी अमरूद की बागवानी शुरू कर दी है।