ग्लोबल वार्मिंग के असर से हिमाचल में कम हुआ सेब का उत्पादन

    17-Mar-2025
Total Views |

शिमला – हिमाचल प्रदेश को  देश का “सेब राज्य” कहा जाता है, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण सेब की खेती पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। इसके कारण राज्य में सेब की खेती, बुरी तरह से प्रभावित हुई  है। राज्य  सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, हिमाचल में कुल कृषि उत्पादन में 7.46% की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि सेब के बागानों का क्षेत्रफल बढ़ा है, लेकिन उत्पादन में लगातार भारी गिरावट देखी जा रही है।

आंकड़ों के अनुसार: 2022-23: 1,15,680 हेक्टेयर क्षेत्र में सेब की खेती हुई और उत्पादन 672.34 मीट्रिक टन रहा। 2023-24: क्षेत्रफल बढ़कर 1,16,240 हेक्टेयर हुआ, लेकिन उत्पादन घटकर 506.69 मीट्रिक टन रह गया। 2024-25: उत्पादन और घटकर 497.41 मीट्रिक टन हो गया।

इसे भी पढ़ें: मार्च में नींबू की फसल की देखभाल से मिलेगा बेहतर उत्पादन

वैज्ञानिकों का कहना है कि कभी भारी बारिश और ओले गिरने, तो कभी लंबे समय तक सूखा पड़ने के कारण फसलों पर बुरा असर पड़ रहा है। सेब की खेती हिमाचल के कुल बागवानी क्षेत्र के 46% हिस्से में होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ खराब प्रबंधन, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर अधिक निर्भरता भी सेब उत्पादन में गिरावट की बड़ी वजह है।

विशेषज्ञों का कहना है कि सेब उत्पादन को बचाने के लिए बेहतर कृषि प्रबंधन, जल संरक्षण तकनीकों, जैविक खेती और जलवायु-अनुकूल सेब की किस्मों को अपनाना जरूरी है। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो हिमाचल का यह महत्वपूर्ण उद्योग संकट में आ सकता है।

सेब  राज्य की अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा है। ऐसे में यह जरूरी है कि सरकार और किसान मिलकर इस समस्या का समाधान निकालें, ताकि हिमाचल का सेब उद्योग पहले की तरह फल-फूल सके।