महाराष्ट्र में इंजीनियरिंग के छात्र ने घर के एक कमरे में शुरु की केसर की खेती
नई दिल्ली। वैसे तो केसर की खेती सिर्फ कश्मीर में ही हो सकती है, लेकिन महाराष्ट्र के एक इंजीनियरिंग के छात्र ने नंदुरबार जैसे गर्म वातावरण में भी केसर की खेती कर सबको अचरज में डाल दिया है। कंप्यूटर इंजीनियरिंग के छात्र हर्ष पाटिल ने टेक्नलॉजी के सहारे सफलतापूर्वक केसर की खेती की है। इनके सहयोग से महाराष्ट्र में अब कुछ और किसान भी केसर की खेती कर अच्छा मनुाफा कमा रहे हैं।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में एक युवा किसान हर्ष पाटिल ने घर के कमरे में की केसर की पैदावार की। युवा होने का मतलब है कि आप हमेशा प्रयोग करने और अजीब और अप्रत्याशित चीजें करने के लिए तैयार रहते हैं। युवा नई तकनीकों का इस्तेमाल करने और किसी भी क्षेत्र में प्रयोग करने में आगे हैं। इसमें अगर हम कृषि क्षेत्र पर विचार करें तो अब देखा जा रहा है कि बड़ी संख्या में युवा कृषि क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं और इन युवाओं ने पारंपरिक कृषि को तोड़कर कई अलग-अलग प्रयोग करके कृषि क्षेत्र में काफी प्रगति की है। चाहे पशुपालन व्यवसाय हो या पोल्ट्री व्यवसाय, युवाओं ने अब पेशेवर दृष्टिकोण से एक बड़ी छलांग लगाई है। ये युवा अब अर्जित शिक्षा का कुशलतापूर्वक कृषि में उपयोग कर कृषि का तेजी से विकास कर रहे हैं।
महाराष्ट्र में नंदुरबार जिले के खेड़ दीगर निवासी एक युवक हर्ष पाटिल ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और केसर की खेती में आधुनिक तकनिकी का इस्तेमाल बड़ी कुशलता से किया। इस युवा ने नंदुरबार जैसे जिले में केसर का उत्पादन करके असंभव को संभव कर दिखाया है।
युवा इंजीनियर ने केसर की सफलतापूर्वक खेती की
नंदुरबार जैसे आदिवासी जिले के एक छोटे से गांव खेड़ दीगर में रहने वाले एक युवा हर्ष पाटिल ने शिक्षा को एक मूल्यवान संपत्ति के रूप में उपयोग करते हुए नई तकनीक सीखी और केसर पैदा करने की कामियाबी हासिल की है।
15 x 15 का कमरे में केसर उत्पादन
युवक ने 15 बाय 15 के कमरे में केसर उत्पादन के लिए आवश्यक ठंडा वातावरण तैयार किया। हर्ष पाटिल ने दो से ढाई महीने की अवधि में केसर उत्पादन का सफल प्रयोग किया है। खेड़ दीगर गांव शहादा तालुका में स्थित है और 700 से 800 की आबादी वाले इस छोटे से गांव में हर्ष पाटिल ने तकनीक की मदद से यह कीमियागिरी की है।
तकनिकी प्रशिक्षण और तैयारी
हर्ष पाटिल के शैक्षिक पृष्ठभूमि पर नजर डालें तो उनके पास कंप्यूटर साइंस में डिग्री है। केसर लगाने से पहले उन्होंने इंटरनेट पर इसके बारे में काफी जानकारी खोजी। तब उन्हें एहसास हुआ कि केसर को कश्मीर जैसी जगहों पर भी उगाया जा सकता है। लेकिन केसर की खेती का गहराई से अध्ययन करने के बाद उनकी इच्छा नंदुरबार जैसे इलाकों में केसर पैदा करने की हुई और उन्होंने इस दृष्टि से प्रयास भी किया। केसर की खेती के लिए उन्होंने कश्मीर से केसर की मोगरा किस्म के फूल के कंद लाकर लगाए और केसर की खेती शुरू की।
हर्ष पाटिल द्वारा श्रीनगर के पास पंपोर से 1000 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से फूल के कंद लाए गए और घर के पास 15×15 के कमरे में लगाए गए। केसर की खेती के लिए ठंडी जलवायु आवश्यक है। इसके लिए युवा किसान हर्ष ने लगभग 15 बाई 15 के कमरे में अपना सेटअप तैयार किया। कमरे में एसी की व्यवस्था की. फिर कश्मीर के पंपोर से मोगरा किस्म का केसर ले आया। केसर की खेती के अनुकुल वातावरण बनाने के लिए उन्होंने पूरे कमरे में थर्माकोल चिपका दिया। इससे मोगरा केसर के उगने के लिए एक अच्छा वातावरण तैयार हुआ। केसर 3 लाख रुपये प्रति किलो के भाव पर बिकता है।
कितना आया खर्च?
इस सारे प्रयोग को करने में हर्ष ने करीब पांच लाख रुपये खर्च किए। बता दें कि एक केसर का बीज बोया जाता है तो उसमें तीन से चार केसर पैदा होते हैं। इसका एक कंद लगभग आठ से दस साल तक पैदा किया जा सकता है. यह प्रयोग करीब ढाई से तीन महीने से सफलतापूर्वक चल रहा है, फिलहाल बीज में फूल आ गया है और केसर खिल गया है। पहले चरण में तीन सौ ग्राम केसर का उत्पादन होने की संभावना है।
परिवार का मिला सहयोग
हर्ष की मां खेदड़ीगर टी. शहादा, उनके दादा प्रकाश पाटिल, पिता मनीष पाटिल और चाचा पारंपरिक खेती करते हैं। हालाँकि, हर्ष ने नई तकनीक हासिल करने और केसर खेती करने का फैसला किया।
केसर का उत्पादन हो चुका है शुरू
इसके लिए उन्हें अपनी दादी और मां का सहयोग मिलता है। हर्ष ने उम्मीद जताई कि भविष्य में किसान विभिन्न तकनीकी जानकारियां लेकर आएंगे। केसर का उत्पादन शुरू हो चुका है और 300 ग्राम तक उत्पादन होने की संभावना है। बाजार में एक ग्राम केसर की कीमत 400 से 500 रुपये तक है।