YP Singh was honored by LNI under the important concept of 'Bharat Ki Yatra' in India.

आईएनए अध्यक्ष वाई पी सिंह को पर्यावरण गौरव सम्मान, एलएनआई ने किया तीन दर्जन व्यक्तित्वों को सम्मानित

नई दिल्ली। ‘भारत में भारत की यात्रा’ की महती अवधारणा के तहत एलएनआई की ओर से कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में आयोजित “लोकल भारत-2024” के अंतर्गत, संयोजक विजय शुक्ल द्वारा संचालित संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह में गांव, गरीब, किसान की बहबूदी और शिक्षा-संस्कृति, पर्यावरण के विकास कार्य में समर्पित भाव से लगे करीब तीन दर्जन सांस्कृतिक योद्धाओं को सचित्र स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया। करीब-करीब ऐसे सभी प्रेरक व्यक्तित्वों ने अपने प्रेरणादायी अनुभव और दिशा-निर्देश से भरे विचार उपस्थित प्रबुद्ध श्रोताओं से साझा किया। संचालक की सारगर्भित टिप्पणियां वक्तव्यों को सूत्र रूप दे रही थीं।

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वेदपाठी कुमारों के मंत्रोच्चार और दीप प्रज्वलन के बीच हालांकि मुख्य अतिथि, राज्यमंत्री श्रीपद नायक की अनुपस्थिति अखरी लेकिन उनके शुभकामना संदेश को ही उनकी उपस्थिति मानकर समारोह आगे बढ़ता रहा। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि श्याम जाजू (भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष) ने अपनी ही सहिष्णुता का एक उदाहरण  साझा करते हुए प्रधानमंत्री के लोकल पर वोकल को जमीन पर उतारने के लिए लोकल न्यूज ऑफ इंडिया के संपादक और ‘भारत में भारत की यात्रा’ में उनके सहयात्रियों की सराहना की।  अतिथि डॉ. कमाल गौरी ने गंगा-जमुनी भारतीय संस्कृति के महत्व का उल्लेख करते हुए बिना किसी जाति-समुदाय के भेदभाव के हर जरूरतमंद की मदद करने पर बल दिया और सूफी संवाद के जरिए लोगों में एकजहती सोच को बढ़ावा देने की चर्चा की। विशिष्ट अतिथि को जहां वेदपाठी कुमारों  ने स्वस्तिवाचन के साथ सादर सम्मान प्रदान किया, वहीं देश भर से चयनित अन्य करीब दो दर्जन  से अधिक अपने क्षेत्र में मिसाल कायम करने वाले  कर्मशीलों  को भी  मंचस्थ अतिथियों और एलएनआई सदस्यों ने प्रतीक चिह्न से नवाजा। आईएनए अध्यक्ष वाईपी सिंह समेत कार्यक्रम में न पहुंच पाये व्यक्तित्वों के परिजनों / सहयोगियों को  उनका सम्मान सौंपा गया।

संगोष्ठी में प्रदीप गांधी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की आत्मा गांवों मे बसती है। भारत के अनेकता में एकता और वसुधैव कुटुंबकम को पूरा विश्व आज स्वीकार कर रहा।   विजय शुक्ल के मुताबिम संघर्ष के प्रतीक उत्तराखंड के भोपाल चौधरी ने कहा, सबको सत्ता मे ही नहीं, कुछ को संघर्ष में भी होना चाहिए। जो संधर्षशील हैं, वे सभी मेरे साथी हैं।  रोहित सिंह धामी ने अपने पिता को याद करते हुए कहा, वे कहते थे –नेकी कर छित्तर खा, मैं भी खाद्दे तू भी खा, यानी नुकसान के भय से नेकी करना नहीं छोड़ना चाहिए। ओलंपियन अमिताभ शर्मा, असंगठित मजदूर यूनियन के अब्दुल मन्नान, सत्या सारथी, चमन कपूर, डॉ नलिन त्रिपाठी, शिक्षासेवी बृजेश, प्रतीक द्विवेदी, उमेश आजाद  आदि ने भी अपने कार्य, अनुभव और विचार साझा किया।

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