In the last 6 years, UP Government has achieved the huge target of 167 crore plantation

विगत 6 वर्षों में उप्र शासन ने 167 करोड़ पौधारोपण का विराट लक्ष्य प्राप्त किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के पौधारोपण अभियान की प्रशंसा की

योगी बोले, “पर्यावरण आज एक वैश्विक मुद्दा बन चुका है। पर्यटकों के साथ ही स्थानीय नागरिकों का भी कर्तव्य है कि वह प्लास्टिक का प्रयोग करके जल अथवा पर्यावरण को प्रदूषित न करें।”

श्री राम शॉ

नोएडा / लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जीवन चक्र केवल मनुष्य ही नहीं, बल्कि प्रत्येक जीव और जन्तु के सहअस्तित्व पर निर्भर करता है। जब धरती पर जीव, जंतु, वनस्पतियां, पानी के स्रोत, तालाब तथा जंगल रहेंगे तो मनुष्य के अस्तित्व के सामने कोई संकट नहीं आएगा। जब भी इस जैव पारिस्थितिकी पर संकट आएगा तो मनुष्य का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा। इसी विसंगति को दूर करने के लिए अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह को वन्य प्राणी सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।

मुख्यमंत्री जनपद पीलीभीत के मुस्तफाबाद गेस्ट हाउस में ‘वन्य प्राणी सप्ताह’ के अवसर पर ‘वन्य जीव संरक्षण और सतत पर्यटन विकास’ विषयक कार्यशाला के शुभारंभ के अवसर पर आयोजित जनसभा में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने 248 करोड़ रुपये की लागत से जनपद पीलीभीत के विकास की 26 परियोजनाओं एवं 05 करोड़ रुपये की लागत से 51 उच्चीकृत वन विश्राम भवनों का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने ‘सारस गणना रिपोर्ट-2023’, डब्ल्यू0डब्ल्यू0एफ0 इण्डिया एवं उत्तर प्रदेश वन विभाग द्वारा संकलित ‘लग्गा-बग्गा कॉरिडोर पुस्तक’ तथा वृक्षारोपण जन अभियान-2023 की ‘कॉफी टेबल बुक’ का विमोचन किया। उन्होंने सेल्फी प्वाइण्ट का अनावरण तथा वृक्षारोपण किया। वन्य जीव प्रदर्शनी तथा वन्य जीवों का अवलोकन भी किया।

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मुख्यमंत्री ने तराई एलीफेण्ट रिजर्व के ‘लोगो’ तथा ‘स्क्रीन’ का विमोचन किया। कार्यक्रम में वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अरुण कुमार सक्सेना ने पीलीभीत टाइगर रिजर्व को प्राप्त कैट्स अवॉर्ड मुख्यमंत्री को भेंट किया। मुख्यमंत्री ने हर्षित सरकार और निपुण वैरागी को शहद किट का सांकेतिक प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। उन्होंने बाघों की सुरक्षा हेतु बाघ मित्र एप का शुभारम्भ किया। उन्होंने उत्कृष्ट कार्य करने वाले बाघ मित्रों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने वन्य जीव सुरक्षा एवं संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों को भी सम्मानित किया। कार्यक्रम के उपरान्त मुख्यमंत्री ने चूका स्पॉट में जंगल सफारी भी की और प्रकृति के सौन्दर्य का अवलोकन किया।

उन्होंने कहा कि भारतीय मनीषा ने मनुष्य के साथ ही, जीव-जन्तुओं या हर ऐसी वस्तु जिस पर मनुष्य जाति का अस्तित्व टिका हुआ है, को चराचर जगत का हिस्सा मानते हुए उसके संरक्षण पर सदैव से जोर दिया है। हमारे वेदों ने धरती को माता के रूप में सम्बोधित करते हुए माता भूमिः पुत्रो अहम् पृथिव्या की प्रेरणा दी। अर्थात यह धरती हमारी माता है और हम सब इसके पुत्र हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज उन्हें प्रकृति की गोद में बसे इस महत्वपूर्ण स्थल पर आने का अवसर प्राप्त हुआ है। उत्तर प्रदेश को देश के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक हृदय स्थल के रूप में जाना जाता है। प्रदेश में देश के सर्वाधिक धार्मिक पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं। यहां ईको पर्यटन के लिए भी अनन्त सम्भावनाएं हैं। तराई के इस क्षेत्र में कतर्निया, दुधवा, चूका और अमानगढ़ जैसे स्थल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने की सामर्थ्य रखते है।

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उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के परिणाम आज देखने को मिल रहे हैं। पीलीभीत टाइगर रिजर्व में TX2 लक्ष्य (टाइगर रिजर्व में पाए जाने वाले बाघों की संख्या वर्ष 2022 तक दोगुनी करने) प्राप्त करने में हमें सफलता प्राप्त हुई है। यू0एन0डी0पी0, आई0यू0सी0एन0, जी0टी0एफ0, डब्ल्यू0डब्ल्यू0एफ0, सी0ए0टी0एस0 एवं द लॉयन्स शेयर द्वारा संयुक्त रूप से पीलीभीत टाइगर रिजर्व को TX2 के प्रथम ग्लोबल अवॉर्ड से पुरस्कृत किया गया है। वर्ष 2014 में पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 25 थी। वर्ष 2018 में बाघों की संख्या 65 होने पर यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश को मिला है। वर्ष 2018 की बाघ गणना में राज्य में बाघों की संख्या 173 थी। प्रदेश सरकार के प्रयासों से आज इनकी संख्या बढ़कर 205 से अधिक हो गई है।

योगी ने कहा कि रामसर साइट के अंतर्गत प्रदेश के 10 वेटलैंड का प्रबन्धन वन विभाग द्वारा किया जा रहा है। प्रदेश में ऐसे अनेक स्थल हैं जिनकी प्रदेश को ईको टूरिज्म के क्षेत्र में आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। यह स्थल पर्यटकों और पर्यावरण प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित कर स्थानीय स्तर पर नौजवानों के लिए रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध करा सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भी प्रकृति में असंतुलन पैदा करने का प्रयास होगा तो मानव और वन्य जीवों में संघर्ष की प्रवृत्तियां बढ़ेगी। पहले मानव और वन्य जीवों के बीच संघर्ष में जनहानि होने पर किसी प्रकार की सहायता नहीं मिलती थी। हमारी सरकार ने मानव-वन्य जीव संघर्ष को आपदा घोषित किया। किसी भी परिवार का कोई सदस्य इस आपदा की चपेट में आता है तो जनहानि की स्थिति में प्रभावित परिवार को आर्थिक सहायता देने की व्यवस्था की गई है।

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उन्होंने वन विभाग को निर्देश देते हुए कहा कि जहां भी इस प्रकार के वन गांव से सटे हुए हैं वहां सोलर फेंसिंग की व्यवस्था अनिवार्य रूप से करा दी जाए, जिससे वन्य जीवों को बस्ती की ओर आने का अवसर न मिले और इस कारण होने वाली जनहानि, धन हानि अथवा पालतू पशुओं को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज वन विभाग द्वारा गांगेय डॉल्फिन को प्रदेश के जलीय जीव के रूप में मान्यता देने की घोषणा की गई है। गांगेय डॉल्फिन जल की शुद्धि के साथ ही, पर्यावरण की शुद्धि में भी बड़ी भूमिका का निर्वहन करती है। हमें इस कार्य के लिए गांगेय डॉल्फिन के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करनी चाहिए। हमारा प्रयास होना चाहिए कि प्राकृतिक व्यवस्था को किसी भी प्रकार के पर्यावरणीय प्रदूषण से मुक्त रखें। इसके लिए इन क्षेत्रों से जुड़े लोगों को वन्यजीवों के प्रति व्यवहार का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। उन्हें गाइड के रूप में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। सभी टाइगर रिजर्व तथा वन्यजीवों से जुड़े आरक्षित क्षेत्रों के प्रत्येक गांव में नौजवानों को गाइड का प्रशिक्षण देते हुए उनके समायोजन की व्यवस्था की जानी चाहिए। इससे अधिक से अधिक लोगों को रोजगार के साथ जोड़ा जा सकेगा।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पर्यावरण आज एक वैश्विक मुद्दा बन चुका है। पर्यटकों के साथ ही स्थानीय नागरिकों का भी कर्तव्य है कि वह प्लास्टिक का प्रयोग करके जल अथवा पर्यावरण को प्रदूषित न करें। पर्यावरण के कारण दुनिया में अनेक संकट खड़े हो गए हैं। यह हम सभी का सौभाग्य है कि विगत 06 वर्षों में उत्तर प्रदेश शासन ने जन सहभागिता के माध्यम से वन विभाग को नोडल विभाग बनाकर 167 करोड़ वृक्षारोपण का विराट लक्ष्य प्राप्त किया है। यह वृहद कार्यक्रम प्रदेश के नए स्वरूप को सबके सामने प्रस्तुत करता है। जहां जंगल होंगे वहां पर आध्यात्मिक वातावरण के साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी में पर्यावरण के प्रति अत्यंत अनुराग है। प्रधानमंत्री जी ने उत्तर प्रदेश के वृक्षारोपण अभियान की मन की बात कार्यक्रम में प्रशंसा की है। प्रधानमंत्री जी ने नमामि गंगे मिशन के माध्यम से गंगा की अविरलता और निर्मलता के साथ नदी संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए देशवासियों में नई प्रेरणा जागृत की है। आज सबके लिए संकल्प का अवसर होना चाहिए कि अपने भविष्य को बचाने के लिए हम अपने वर्तमान के साथ खिलवाड़ ना करें। मनुष्य के साथ ही, जीव और जंतुओं के साथ भी संवेदनशीलता के साथ आगे बढ़ें।

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मुख्यमंत्री ने जनपद पीलीभीत के विकास के लिए लगभग 250 करोड़ रुपए की परियोजनाओं के लोकार्पण एवं शिलान्यास के लिए जनपदवासियों को बधाई देते हुए कहा कि इस क्षेत्र के किसान बहुत प्रगतिशील, मेहनती और पुरुषार्थी हैं। तराई के क्षेत्र में इन किसानों ने अपनी मेहनत और पुरुषार्थ से सोना उगलने का कार्य किया है। आज यहां जनपद से जुड़ी हुई शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पुल, टेक्निकल एजुकेशन तथा अन्य विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास कार्यक्रम संपन्न हुआ है। उन्होंने आश्वस्त किया कि केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार सभी नागरिकों को सुरक्षा, सम्मान और उनके स्वावलंबन के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य करेगी। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से वन्यजीवों के प्रति संवेदनशील रहने तथा उनके साथ सहअस्तित्व रखते हुए आगे बढ़ने का आह्वान किया।

धन की जरूरत हो, कृषि यंत्रों की आवश्यकता हो या फिर ट्रेनिंग, किसानों की हर जरूरत पूरा करेगी सरकार

खरीफ फसलों की खरीद के लिए जारी तैयारियों के बीच योगी सरकार ने आगामी रबी सीजन में खाद्यान्न तथा तिलहनी फसलों के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए रणनीति तैयार कर ली है। रबी सीजन 2022 में जहां 136.06 लाख हेक्टेयर भूमि आच्छादित थी और 427.83 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ। वहीं, आगामी रबी 2023 में खाद्यान्न एवं तिलहनी फसलों के अन्तर्गत 134.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर बोआई और 448.66 लाख मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

सरकार द्वारा तैयार रबी उत्पादन 2023 फसल उत्पादन रणनीति में कुल खाद्यान्न उत्पादन के 428.77 लाख मीट्रिक टन एवं तिलहन उत्पादन के 19.90 लाख मीट्रिक टन (खाद्यान्न एवं तिलहन के कुल उत्पादन 448.66 लाख मीट्रिक टन) के लक्ष्य के सापेक्ष गेहूं, जौ, मक्का, चना, मटर, मसूर, राई सरसों, तोरिया, अलसी के लिए अलग-अलग लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है।

फसल सघनता में वृद्धि: कृषकों की आय बढ़ाने के साथ ही सरकार का फोकस उत्पादकता और उत्पादन को बढ़ाने तथा उत्पादन लागत को कम करने पर भी है। फसल सघनता में वृद्धि के लिए किसानों को साल में दो या तीन फसल लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है तो खरीफ में बुवाई से खाली खेतों में तोरिया अथवा लाही की बुवाई के लिए जागरूक किया जाएगा। वहीं, जिन क्षेत्रों में गन्ना की खेती हो रही है, वहां गन्ने से खाली होने वाले खेतों तथा शीघ्र पकने वाली अरहर से खाली खेतों में देरी की दशा में बोई जाने वाले गेहूं की प्रजातियों की बुवाई को भी सरकार प्रोत्साहित कर रही है। देवरिया, कुशीनगर, गोंडा, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती, बलिया, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, आजमगढ़, बस्ती, बाराबंकी, अयोध्या, सीतापुर खीरी और जौनपुर, जहां मक्का की खेती होती है वहां संकर मक्का की खेती के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। इसी तरह उत्पादकता में वृद्धि के लिए न्यूनतम उत्पादकता वाले ब्लॉक के संबंध में खास रणनीति भी तैयार की जाएगी।

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उत्पादकता में वृद्धि: क्षेत्रफल की दृष्टि से देश में सर्वाधिक क्षेत्र में गेहूँ की खेती उत्तर प्रदेश में की जाती है। जलवायुविक भिन्नताओं, संसाधनों की कमी, कृषि निवेशों के असंतुलित प्रयोग तथा उन्नत तकनीक का पूरा लाभ न लेने के कारण प्रदेश में गेहूँ की उत्पादकता पंजाब एवं हरियाणा की अपेक्षा कम है। प्रदेश के विभिन्न जनपदों की विभिन्न फसलों की उत्पादकता में भी भारी अन्तर है। उत्पादकता वृद्धि के लिए न्यूनतम उत्पादकता वाले ब्लाक/न्याय पंचायत के सम्बन्ध में भी समुचित रणनीति बनाकर त्वरित क्रियान्वयन सुनिश्चित कराने हेतु जनपद स्तर पर उत्पादकता बढ़ाने के लिए विभिन्न फसलों की ब्लाक/न्याय पंचायतवार उत्पादकता को आधार मानकर योजनायें बनाकर सघन पद्धतियों को लागू करने की योजना है।

क्षेत्रीय अनुकूलता तथा उपलब्ध संसाधनों के आधार पर फसलों एवं प्रजातियों का चयन कर कृषि की उन्नत प्राविधिकी का प्रयोग कर उत्पादकता में वृद्धि करने हेतु जनपद पर समुचित रणनीति तैयार की जा रही है। उत्तर प्रदेश यही नहीं, पावर कारपोरेशन, सिंचाई विभाग एवं नलकूप विभाग को स्पष्ट निर्देश है कि फसल उत्पादन के समय बिजली की आपूर्ति, नहरों में रोस्टर के अनुसार पानी चलने, सरकारी नलकूपों को कार्यरत रखा जाए। बीज शोधन के उपरान्त ही बीज की बुआई हेतु कृषकों को प्रेरित किया जाय। सूक्ष्म पोषक तत्व का प्रयोग मृदा परीक्षण के उपरान्त करना अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होता है। ऐसे में इस पर विशेष बल दिया जाएगा।

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