In Mainpuri, Uttar Pradesh, a woman started saffron cultivation at home, using aerophonic technology

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में एक महिला ने घर में शुरू की केसर की खेती, लिया एयरोफोनिक तकनीक का सहारा

नई दिल्ली। अब तक हम लोग यही जानते थे कि केसर की पैदावार सिर्फ कश्मीर या ठंडे इलाकों में ही हो सकती थी। मैदानी इलाकों की जमीन केसर की खेती के लिए मुफीद नहीं है, लेकिन इस बात को गलत साबित कर दिया है उत्तर प्रदेश की एक 63 वर्षीय गृहिणी शुभा भटनागर ने। शुभा ने मैनपुरी जैसे शहर में पांच सौ पचास वर्ग फुट के वातानुकूलित हॉल में एयरोफोनिक तकनीक से केसर की खेती की शुरुआत की और वे अपने इस अद्भुत प्रयोग में सफल रही। शुभा के मन में केसर की खेती का विचार इंटरनेट और सोशल मीडिया के वीडियो देखकर आया।

उल्लेखनीय है कि कश्मीर में पैदा होने वाले केसर को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में एयरोफोनिक तरीके से उगाकर शुभा ने सबको चौंका दिया है। उनके इस प्रयोग में उनके परिवार वालों ने उनका भरपूर साथ दिया। शुभा के इस सराहनीय काम की चारों तरफ चर्चा हो रही है। मैनपुरी के जिलाधिकारी ने खुद जाकर इसे देखा और उनके इस सफल प्रयोग को सराहा। बता दें कि अब तक केसर की खेती सिर्फ कश्मीर में ही संभव थी।

एयरोफोनिक तकनीक से हो रही केसर की खेती
दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर शुभा भटनागर ने मैनपुरी जैसे शहर में पांच सौ पचास वर्ग फुट के वातानुकूलित हॉल में बिना मिट्टी और पानी (एयरोफोनिक तकनीक) के केसर की खेती शुरू की और उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने उनके केसर की खेती के प्रयोग को सफल बनाया। शुभा भटनागर का कहना है कि उन्हें कुछ अलग करना था। केसर की खेती का विचार उनके मन में इंटरनेट पर एक वीडियो देखकर आया। इसके लिए उन्होंने कश्मीर के पंपोर से दो हजार किलोग्राम केसर के बीज खरीदे और अगस्त महीने में केसर के बीज लगाए। एरोफोनिक तकनीक से लकड़ी की ट्रे में बुआई की और अब केसर की फसल नवंबर महीने में तैयार हो जाती है।

केसर का निर्यात नहीं करेंगी शुभा
शुभा भटनागर बताती हैं कि केसर की खेती में करीब 25 लाख रुपये की लागत आती है। शुभा जी का यह भी कहना है कि वह केसर को बाहर निर्यात नहीं करेंगी, उनके अपने देश में केसर उत्पादन की भारी कमी है। जिसे वह पूरा करने का प्रयास करेंगी। शुभा भटनागर भी कहती हैं कि केसर की इस सफल खेती से कई ग्रामीण महिलाओं को मदद मिलेगी और रोजगार भी मिलेगा। उनकी सफलता में उनके बेटे अंकित भटनागर और बहू मंजरी भटनागर का भी बहुत योगदान है। शुभा भटनागर के केसर की खेती के सफल प्रयोग को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं। जिलाधिकारी मैनपुरी अविनाश कृष्ण सिंह ने केसर की खेती के सफल प्रयोग की सराहना की है।

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