Record-breaking sale of garlands on Chhath festival in the whole Seemanchal including Purnia of Bihar

बिहार के पूर्णिया समेत पूरे सीमांचल में छठ पर्व पर हुई गेंदे की रिकॉर्डतोड़ बिक्री

नई दिल्ली। इस वर्ष छठ के महापर्व पर बिहार के पूर्णिया सहित पूरे सीमांचल में में छठ के घाटों पर गेंद के फूल की रिकॉर्डतोड़ बिक्री हुई। रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि अकेले पूर्णिया में छठ के पर्व पर करीब 60 लाख रुपए से अधिक के फूलों की बिक्री हुई। इस पर्व पर फूलों की अत्याधिक मांग होने के कारण व्यापारियों को इस वर्ष पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और झारखंड से भी फूल लाकर बेचने पड़े। विगत कुछ वर्षों के कोरोना लाकडाउन के बाद इस साल फूलों की रिकॉर्डतोड़ बिक्री से किसान और व्यापारियों के चेहरे पर खुशी की लहर दिखाई दे रही है।

गौरतलब है कि लोकआस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ सम्पन्न हो गया। बीते कुछ सालों के कोरोना महामारी के बाद इस साल बिहार के पूर्णिया सहित पूरे सीमांचल के इलाके में छठ घाटों को भव्य तरीके से फूलों से सजाया गया। इस कारण इस वर्ष छठ पर्व पर फूलों की अत्याधिक डिमांड रही ।

गेंदा समेत अन्य फूलों की खेती

फूलों की भारी डिमांड और बिक्री होने से इससे जुड़े किसान और व्यवसायी काफी गदगद हैं। जिले के बेलौरी, कालीघाट, महेंद्रपुर व मंझेली समेत आसपास के इलाके के किसान गेंदा, गुलाब और रातरानी के फूलों की खेती पिछले कई वर्षों से लगातार कर रहे हैं। लॉकडाउन के समय फूल की खेती से जुड़े किसान को मायूसी झेलनी पड़ी थी। इस वर्ष फूलों की डिमांड काफी अधिक रहने से इन किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। अकेले जिला मुख्यालय में 44 की संख्या में फूलों की दुकान है।

एक फूल व्यापारी ने बताया कि पिछले 10 वर्षों की तुलना में इस वर्ष छठ के त्योहार में गेंदा फूल की डिमांड काफी अच्छी रही। अमूमन सभी फूल दुकानदारों ने तीस हजार से एक लाख रुपए तक के गेंद्रा फूल की बिक्री की। दीपावली और छठ के अलावा होली के समय में भी गेंदा फूलों की भारी डिमांड होती है।

कच्चे फूलों को सजाना माना जाता है शुभ

छठ घाट पर सजाने के लिए लोगों की पहली पसंद गेंदा का फूल ही होता है। लोग इसे आस्था से भी जोड़कर देखते हैं। गेंदा के फूल से छठ घाट को सजाने पर लोग प्रकृति से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। सुंदर और सुगंधित होने की वजह से छठ घाट की सुंदरता भी काफी अधिक बढ़ जाती है। शास्त्रों के अनुसार भी धार्मिक स्थलों को कच्चे फूलों से सजाना शुभ माना गया है। छठ भी प्रकृति से जुड़ा हुआ पर्व है। इसलिए लोग छठ घाट पर गेंदा के फूल से ही सजाने को प्राथमिकता देते हैं। एक भी ऐसा छठ घाट नहीं होता है, जहां कम से कम एक भी लड़ी गेंदा का फूल नहीं लगा हो।

फूल की खेती में कम लागत, अच्छी बचत

गेंदा फूल के पौधे की रोपाई के 60 से 70 दिनों के अंदर ही फूल खिल जाता है, जो 90 से 100 दिनों तक प्राकृतिक रूप से सही रहता है। 1 एकड़ जमीन में फूल की खेती करने के बाद 15 से 20 लाख रुपए की कमाई एक वर्ष में होती है। गर्मी के सीजन के लिए जनवरी के महीने में फूल लगाए जाते हैं। अब सालों भर गेंदा फूल की खेती होती है। एक अन्य व्यवसायी बापी ने बताया कि इस वर्ष छठ का त्योहार थोड़ी देर से होने के कारण फूल की खेती प्रभावित हुई। उन्होंने बताया कि थोक में 180 से 220 से रुपये तक में 20 पीस गेंदा फूल की लड़ी बेची गई।

गेंदा फूल की ज्यादा डिमांड

बड़े आकार के गेंदा फूल की लंबाई-चौड़ाई 7 से 8 सेंटीमीटर होती है। इनमें से कुछ बौने किस्म के भी होते हैं। इस इलाके में अफ्रीकन और फ्रेंच गेंदा की खेती अधिक होती है। इसी नस्ल के फूल की डिमांड लोगों में अधिक होती है। गेंदा के फूल का उपयोग अब लोग शादी-विवाह एवं अन्य प्रयोजन में भी करने लगे हैं। साल भर गेंदा फूल सहज रूप से उपलब्ध हो जाने की वजह से इसकी खेती ने अब बड़ा व्यावसायिक रूप भी ले लिया है। खासकर पूर्णिया में फूलों की दुकान दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है।

sosyal medya reklam ajansları en iyi sosyal medya ajansları medya ajansları istanbul reklam ajansları istanbul reklam ajansları reklam şirketleri en iyi reklam ajansları en ünlü reklam ajansları en iyi ajanslar listesi